Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
________________
[३२१०
७१२
नेमिनाहचरिउ [३२१०] नहि इंदजाल-भव-विलसियाणं विज्जइ इहंतरं किं-पि।
किंतु निविडा स गंठी का-विहु मोहस्स जीवाणं ॥ [३२११] जेण अ-थिरं पि वत्थु मुणंति सव्वायरेण सु-थिरं ति ।
जमिहारंभ-सयाई सासय-वुद्धीए चालंति ॥ [३२१२] ता जिणवरिंद-भणियाई ताइं निवसंति माणसे जस्स ।
सो किह पलवइ वालु ब्व गरुय-चसणे वि संपत्तो ॥ [३२१३] इय सुमरसु जिण-वयणं अवलंबसु धीरिमं थिरो होसु ।
साहस-धणाण पुणरवि संपत्तीओ न दुलहाओ ॥
[३२१४]
इय विवोहिउ विविह-वयणेहिं हरि मुसलिण संचलिउ समुहु पंडु-महुराए कहमवि । एत्थंतरि वारवइ- पुरिहिं डज्झमाणिहिं सवत्तु वि ॥ हलहर-नंदणु दीण-मुहु दीह-मुक्क-पुक्कारु । आरुहिउण घरुवरि भणइ कुज्जयवार-कुमारु ॥
[३२१५]
सीसु जइ हउं नेमि-सामिस्सु जइ चरम-सरीरु हउं सच्चु वयणु जइ नेमि-नाहह । ता डझहुं किह णु इह मज्झि पडिउ वारवइ-दाहह ॥ इय विलविरु जंभग-सुरिहिं हरिउण पल्लव-देसि । नियउ सु नेमि-प्पहु-पुरउ चरण-ग्गहणह रेसि ॥ [३२१६] वत्तीस-सहस्सेहिं हरि-महिलाहिं स-राम-भज्जाहिं ।
___ जायव-नर-नारी हिं य कुमरेहिं तत्थ वि ठिएहि ॥ [३२१७] सिरि-नेमि-जिणं चित्ते काऊणं अणसणाई विहियाई ।
छम्मासेणं दड्ढा पुरी वि बूढा य जल-निहिणा ॥ ३२१३. १. विरो for थिरो.
___Jain Education International 2010_05
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318