Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 280
________________ ३२०० ] परिकुट्टिर - वच्छयलु परितायह कण्ह निय [३१९७] तयणु नायर मुक्क पुक्कार वारवद्ददहणु इय विलवंत मरंत निय- नायर-जण पेक्खंतु | धाविरु हरि एगत्थ अवलोयइ बहुउ जलंतु ॥ संत-तुरंग-सयपरिपुरि-वस-सय भहिं भुवण - एक्कल्ल मल्लय । लोउ सयल - जय-पिसुण-सल्लय | [३१९८ ] पडिर-कुंजर - मुक्क-चिक्कारु Jain Education International 2010_05 हा बंधव हा जणय हा जायव - कुल-तिलय इय स-करुण निय- नायरयपडिउवयारु विहेउ तहं हा नारायण हा मुसलि हा सिरि-नेमि - जिणिंद । रक्खहि रक्खहि नियय-जणु जय-नय-पय- अरविंद ॥ सिमिसिमि-ति-रव - विहिय - निस्सणु । तडतड-ति-पडिसद्द-भीसणु ॥ [३१९९] अरि तणुब्भव अहह मह मित्त हा समुहविजयावणिप्पहु । सउरि पणय जणु किन रक्खहु ॥ जण - उल्लाव सुणंतु । वयणेण वि अ-तरंतु ॥ [३२०० ] afaa एगहं नियय-रह-रयणि सह देवs - रोहिण परिचोइय रह-तुरय पय- मित्तु विन समुक्खिवहिं ता उत्तरिवि सयं पि । धुरि लग्गिवि कड्डियउ रहु नीलंबर- हरिहिं पि ॥ सउरि-राउ ता कह-मुसलिहिं । किंतु ते वि डज्यंत जलणिहिं ॥ For Private & Personal Use Only ७०९ www.jainelibrary.org

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