Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 278
________________ १९२ ] [३१८९] पाव- तावसु इमु विपडि पिउहु जं रोयइ तं कुणडु वारवइहिं गंतु दिण नेमि - जिणेसर - पय- पुरउ पडिवन्नउं चारितु । दीवायण - अहमाहमुवि पुरि-वह-अविरय-चित्तु ॥ वारवदहणु एम्ब कण्डु अणुसिटु मुसलिण । गमइ के वि ता जणिण पउरिण || [३१९० ] मरिवि पत्त Jain Education International 2010_05 अग्ग- कुमरेसु मुणिय - पुच्व-भव-भाषि वइयरु । नयर - जणहं संहरण - अवसरु ॥ ता निययन्नाण-वल अलहंतउं धम्म-पर अप्पु पयासिवि गउ पुरिहि अह वारस - वरिसाणि । अइवाहर कुव्वंतु पुर- लोउ धम्म-कम्माणि ॥ [३१९१] कण्ह-हलहर-कहिय-विहि-पुव्वु तयiतरु अइगयउ इयं चिंतिरु पुण-वि तह अ-वियानंतर कित्तिय वि अम्ह एहु उवसग्गु खेमिण । चेव विसय सेवइ पमाइण ॥ बुड्ढ दियह थक्कंत । अह उपाय सुरामिण तिण दंसिय पसरंत ॥ [३१९२] लेप्पमइय विहसहिं पुत्तलय उप्पाडिय-भमुह - जुय कंपति मंदिर - सिहर आरन्नय- सावय भमहिं दियहि विगह- गणु पयडिहुर हुयउ कंपु धरणीए ॥ ३१९०. ५. क. जणह. नियहिं चित्त-आलिहिय देवय । तरुवरा वि दीसंति दीवय ॥ सयल - पहिहि नयरीए । For Private & Personal Use Only ॐॐ www.jainelibrary.org

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