Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 273
________________ नेमिनाहचरिउ [३१६९] तयणु दलिउण कम्म-नियलाई भव-संभवि तणु चइवि तियस-विसर-पयडिय-महा-महु । निय-कित्ति-सुहा-रसिण धवलिऊण तइलोय-गुरु-गिहु ॥ सुगहिय-नामु मुलद्ध-जसु विर्यालय-सयलावाहु । गयसुकुमालु सिवह गयउ केवल-नाण-सणाहु ॥ [३१७०] भुवण-बंधु वि भविय वोहंतु चिरु विहरिवि धर-वलइ पुण वि पत्त उज्जाणि तम्मि वि । ता सयलिण निय-वलिण सहिउ कण्हु आगंतु पणमिवि ।। पय-पउमई नेमिहि पुरउ उचियासणि उवविठु । सुणइ स-वित्थर धम्म-कह स-परियणो वि पहि? ॥ [३१७१] तयणु कण्हिण नियय-माहप्पअणुरंजिय-माणसिण भणिउ पुरउ सिरि-नेमिनाहह । भुवण-प्पहु कहमु मह दलिय-सयल-रिउ-विडवि-साहह ॥ किं कत्तु वि हविहइ मरणु पुरिहि वि वारवईए । अंतु हविस्सइ किमु कह-वि कंचण-रयण-मईए ॥ [३१७२] ता पयंपइ नेमि-जिण-इंदु किं केसव भव-गहणि अत्थि जं न सु-घडिउ वि विहडिउ । वहु-बइयर-कारिणिहिं पुव्व-कम्म-परिणइहिं विनडि उ ॥ इय तुज्झ वि निय-वंधवहं करिण जराकुमरस्सु । हविहइ मरणु दुवालसहं वरिसहं अंति अवस्सु ॥ ३१७०. ३. क. तंनि वि. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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