Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 275
________________ ७०४ नेमिनाहचरिउ [ ३१७७ [३१७७] सयल-नयरिहिं परियडेऊण पडि-मंदिरु भणइ - नणु नेमि-जिणिण उवसग्गु अक्खिउ । परिचिट्ठइ सयलह वि पुरिहि इय स-गुरु-देव-सक्खिउ ॥ अणु-गुण-वय-सिक्खा-वयई परिवालह जत्तेण । गुरु-जिणवर-पय-पंकयई थुणह एग-चित्तेण ॥ [३१७८] __ तयणु वयणिण हरिहि वारवइजणु सयलु वि आयरिण कुणइ धम्म-कम्माई निच्चु वि । फोडेवि सुर-भायणइं चयइ सयलु मइराए किच्चु वि ॥ कण्हाएसिण पुणु सयल किण्ण-पिट्ठ-मज्जाइं । सह भंडिहिं सगडिहिं करिवि पुरिहि वहिहिं नीयाई॥ [३१७९] अह कयंवय-नाम-वण-गहणि कायंविर-अडइयह पव्वयम्मि कार्यविराभिहि । कायंवरि-नामियह गुहह सविह-देसम्मि अभिमुहि ॥ फोडिय लोगिण गिरि-सिहरि भायण नीसेसाई । किन्न-मइर-पिट्टई वि तहिं परिउज्झिय सयलाई ॥ इओ य [३१८०] सुणिवि नेमिहि वयणु वलभद्दलहु-बंधु सिद्धत्थ-इय- नाम-पयड सारहि तमु च्चिय । भव-भावुव्विग्ग-मणु निसिय-हियउ सिव-संगमि च्चिय ॥ भणइ -भाय पसिऊण मइं अणुमनसु हउं जेम्व । आराहिवि नेमिहि चलण न सहउं दुक्खइं एम्व ॥ ३१८०. ३. सरिहि corrected as सारहि. ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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