Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 255
________________ [३०७६ नेमिनाहचरिउ [३०७६] इय भणेविणु सिद्ध-पच्चक्खु मण-नाण-रयणेण सह चित्त-रिक्ख-जुत्तम्मि ससहरि । सु-पसत्थि मुहुत्ति रय- रेणु-नियर-रहियम्मि अंवरि ॥ जायव-चंसुज्जोयकरु पहु तिण-मणि-सम-चित्तु । सावण-सिय-छट्टिहिं तिहिहिं पडिवज्जेइ चरित्तु ॥ [३०७७] अह सुरासुर-कण्ह-वलएवपामुक्खु असेसु जणु निय-निएसु ठाणेसु पत्तउ । भयवं पि-हु वीय-दिणि विहरमाणु मम-भाव-चत्तउ ॥ वारवइहिं नयरिहिं ठिइण पाराविउ धन्नेण । वरदिन्निण माहणिण गुरु- भत्तिहिं परमन्नेण ॥ [३०७८] तयणु तमु घरि कणय-वसुहार उक्कोसिय पडिय तह कुसुम-बुट्टि गंधोय-बुट्टि य । मणि-वुट्टि वि दुंदुहिउ पहय चेल-अंचल वि खेविय ॥ जायउ हरिसु ति-लोयह वि मु पसंसिउ वरदिन्नु । विहरिउ अन्नयरहं महिहिं पहु वि असम-सोजन्नु ॥ [३०७९] इओ य - पहुहु उज्झिय-विहुर राइमइ रह-नेमिण नेमि-जिण- वंधवेण साणुणउ पभणिय । पडिवज्जसु पसिय मई मयण-विहुर-तणु तयणु तरुणिय ॥ घिसि घिसि इग-उयरुब्भवहं अंतरु इमहं महंतु । उज्झइ संतु वि विसय-सुहु इगु इगु महइ अ-संतु ॥ ३०७७. ६. क. omits नयरिहिं. ३०७८. ९. क. पह. ३०७९. १. क. पहुहुं. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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