Book Title: Neminahacariya Part 2
Author(s): Haribhadrasuri, H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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६८८
[३०९२
नेमिनाहचरिउ
[३०९२]
कुणइ वारस-अंगु सुय-जलहि पुबज्जिय-असम-गणहारि- नामु ता नेमि-नाहिण । पढमिल्लु गणहरु ठविउ तियस-नाह-कय-गरुय-रिद्धिण ॥ जक्खिणि-नामिय निव-दुहिय गहिय-चरित्त पवित्त । विहिय पवत्तिणि सुस्समणि- सयहं मज्झि गुण-जुत्त ॥
[३०९३]
एत्थ-अंतरि पत्त-पत्थावु सिर-विरइय-पाणि-पुडु भणइ कण्हु जह – नाह पसिउण । मह साहसु किह णु इहु भुवण-सयल तिण-लवु व कलिउण ॥ इयरु नहिलसइ राइमइ सामिय तुज्झ विओइ । तयणंतर सिरि-नेमि-जिणु भणइ - कण्ह जिय-लोइ ॥
[३०९४]
हवइ नेरिसु कसु वि पाएण परिसंचिय-नेह-भर पुव्व-जम्म-संबंध-विरहिण । एसा-वि हु राइमइ अट्ट जम्म मई सह स-कम्मिण ॥ हिंडिय दढयर-नेह-भर- सम-सुह-दुह-भावेण । ता किह इह भणिय विरमइ सह पुरिसिण इयरेण ॥
[३०९५] __ इय सुहा-रस-पेसलालाव पहु-देसण निसुणिउण ईहपोह-मग्गण पविट्ठिय । सुमरेइ असेस-निय- जाइ राइमइ मणिण तुट्ठिय ॥ उज्झिवि धणु कणु परियणु वि तोडिवि मोहह पास । चरणु पवज्जइ पहु-पुरउ सिव-संगम-कय-आस ॥
____Jain Education International 2010_05
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