Book Title: Nandyadigathadyakaradiyuto Vishayanukram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
दश० सूत्रगाथा | दश. भाष्यगाथा ५.१२०/ उत्तरा० सूत्र० | १-२० ९५-११४ १८१-१८८ १-११ ६-१६ ८५-९६ ८४ ख ८५ ५६
७९/१-१३ ११५-१२७१९१-२२७ १-१५ १७-३१ ११६-११८, ८५ ८ ६ ,
४२२
१-३२ १२८-१५९२४१-२५४ १-२८ ३२-५९ १५६-१५९,
३-१२ ४२३-२७१-१९१६०-१७७२६२-२४।। १-१००६०-१५९१६३-१८०1८११४९८७-१५०५६-७९/ १-१०
१-३०१७८-२०७२७२-२८५ १४९ख १५१ ८०
५७१ १-५०१६०-२०९१८२-१९०
१-२०२०८-२२७२८९-२९८ १५० १-६८२१०.२७७ १९१-२०६
१५२ ८२ .
५७३/ १४
१-८ २२८-२३५३०६-३०८ ४१-५७२७८-३३४ २१३-२२३ ॥ अत ऊर्ध्वमासमाप्तेरद्वय- १ १५ ५७३
१० क २३६ ३०९ ||१-६४ ३३५-३९८२२७-२३८| बतिनिगाशासया।। अत ऊध्वमासमाप्त: पश्चद
१० ख २३७ , १-१७३९९-४१५२४२-२४५
पिण्ड० शांङ्क वृद्धिः सूत्रे ज्ञेया॥ |
११-६२२३८-२८९३१०-३२० १-२३४१६-४३८२४७-२५१
भाष्य
सू० गा०
१-३७२९०-३२६३३३-३४१ १-१५४३९-४५३२५२-२५४
१५ १६ १ ४९ ८ ३ १-३२३२७-३५८३४४-३५३ १-७४५४-४६०२५५-२५८
२५ १६३८ ॥ अत ऊध्वं षट्चत्वारिंशत १-४७३५९-४०५३५७-३७३ १-२१४६१-४८१२६४-२६८ १-१८४८२-४९९२७४-२७७ ॥ अत ऊर्ध्वमासमातेरङ्कनवक- यावदष्टचत्वारिंशदङ्कवृद्धिः | १-३५४०६-४४०३७६-३९३ १-१६५००-५१५२७८-२८२/ हानिमोष्ये झेया॥ सूत्रगाथासु ज्ञेया ॥ १-४८४४१-४८८३९६-४०९

Page Navigation
1 ... 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374