Book Title: Nandanvan Kalpataru 2013 12 SrNo 31
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ अकारान्तचतुर्थ्यन्तपदैः श्रीमहावीराष्टकम् ॥ स्व. प्रवर्तकमुनिश्रीयशोविजयः सविनीतलविभासकसूर्यदेव-चण्डप्रतापकलिताय जिनेश्वराय । देदीप्यमानशशिसौम्यमुखाम्बुजाय, वीराय वीतमदनाय नमो नमोऽस्तु ॥१॥ श्रीनन्दिवर्द्धनकूपापरिपूरिताय, सिद्धार्थनन्दनवराय गुणाकराय । पापापहाय शिवसौख्यक राय शश्वत्, वीराय वीतमदनाय नमो नमोऽस्तु ॥२॥ मुक्त्यङ्गनानयनदूतमहाव्रताय, वीतप्रमादरिपुकाय दमाकराय । भारण्डपक्षिसदृशाय गतस्पृहाय, वीराय वीतमदनाय नमो नमोऽस्तु ॥३॥ ऐश्वर्यभासितजगत्त्रयमण्डलाय, पारङ्गताय परमाय सुरेश्वराय । संशुद्धचेतनमयाय शुभेश्वराय, वीराय वीतमदनाय नमो नमोऽस्तु ॥४॥ स्वर्णाभदेहविलसदद्युतिराजिताय, निर्लोभहंसरतिमानससोदराय । सद्धर्ममार्गवरदेशनकारकाय, वीराय वीतमदनाय नमो नमोऽस्तु ॥५॥ सिंहाङ्किताय सरसध्वनिशोभिताय, ध्येयाय गेयगुणगुम्फितविग्रहाय । सर्वाविजेयबलसारविराजिताय, वीराय वीतमदनाय नमो नमोऽस्तु ॥६॥ विश्वावतंसमुकुटाय मतीश्वराय, सत्प्रातिहार्यपरिशोभिसमाश्रयाय । संसारसारशरणाय मुनीश्वराय, वीराय वीतमदनाय नमो नमोऽस्तु ॥७॥ लोकोपकारकरदेशनवाक्यपुष्प-सौरभ्यलुब्धससुरासुरभृङ्गकाय । चारित्रदीपकवराय सुरस्तुताय, वीराय वीतमदनाय नमो नमोऽस्तु ॥८॥ इतिश्रीसकलभविककमलदिनकरकरायमाणश्रीमद्विजयनेमिसूरीश्वरचरणचञ्चरीकायमाणविनेययशोविजयविरचित मकारान्तचतुर्थ्यन्तपदकदम्बमयश्रीमहावीराष्टकं समाप्तम् ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120