Book Title: Nandanvan Kalpataru 2013 12 SrNo 31
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 15
________________ आचार्यप्रवरश्रीहरिभद्रसूरीश्वराणां स्तवनाष्टकम् ॥* आ. विजयहेमचन्द्रसूरिः (वंशस्थवृत्तम्) अपारशास्त्रोदधिपारदृश्वने, विशुद्धचारित्रतपोविराजिने । दिगन्तसञ्चारियशोविशालिने नमो नमः श्रीहरिभद्रसूरये ॥१॥ स चित्रकूटाचलनामकं पुरं, पवित्रयामास निजेन जन्मना । अभूद् द्विजातिप्रवरो य इद्धधी नमोऽस्तु तस्मै हरिभद्रसूरये ॥२॥ पुरोहितस्थानमलञ्चकार यो, यशोधनश्रीजितशत्रुभूपतेः । विवेद विद्याश्च चतुर्दशाऽपि यो, नमोऽस्तु तस्मै हरिभद्रसूरये ॥३॥ महत्तराश्रीयुतयाकिनीमुखान्निशम्य गाथां गहनां बुधाग्रणीः । तदर्थबोधे स्खलितो य आत्मविलमोऽस्तु तस्मै हरिभद्रसूरये ॥४॥ * वि.सं. २०१९वर्षे विरचितम् ॥

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