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णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन
उत्तर :- पाप अनेक प्रकार के हैं; हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह। ये सभी पापभाव णमोकार मंत्र के स्मरण के काल में उत्पन्न नहीं होते - इसकारण ही 'सब' शब्द का प्रयोग है। यहाँ 'सब' शब्द का अर्थ वर्तमान में उत्पन्न होनेवाले हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह के परिणाम ही हैं। इसमें भूतकाल में किए गए पापों से कोई तात्पर्य नहीं है। यदि भूत, भविष्य
और वर्तमान के सभी द्रव्य-पाप एवं भाव-पाप णमोकार मंत्र के बोलने मात्र से नष्ट हो जाते होते तो फिर आत्मध्यानरूप तप की क्या आवश्यकता थी, उपशम श्रेणी-क्षपकश्रेणी मांडने की क्या आवश्यकता थी ? सभी कर्मों का नाश णमोकार मंत्र के बोलने से ही हो जाता।
इसीप्रकार यदि णमोकार मंत्र बोलने मात्र से सभी पाप नाश को प्राप्त हो जाते होते तो फिर कोई पाप करने से डरता ही क्यों ? दिनभर जी-भरकर पाप करो और सायं को णमोकार मंत्र बोल लो, सब पापों का नाश हो ही जाएगा। इसप्रकार तो यह महामंत्र पापियों को अभयदान देनेवाला हो जाएगा। ___ अत: यही सही है कि जिस समय हम णमोकार मंत्र बोलते हैं, उस समय कोई पापभाव हमारे मन में भी उत्पन्न नहीं होता। यह बात अनुभवसिद्ध भी है; क्योंकि जब-जब भी हमारा मन पंचपरमेष्ठी के स्मरण-चिन्तन में रहता है, तबतक कोई पापभाव मन में नहीं आता, परिणाम निर्मल ही रहते हैं। ___ इस पर यदि कोई कहे कि णमोकार महामंत्र के स्मरण से भूतकाल के पापों का नाश नहीं होता तो णमोकार मंत्र बोलने से लाभ ही क्या है ? क्या अकेले वर्तमान पापभावों से बचने के लिए ही इसका जाप करें ? क्या इस महामंत्र का इतना ही माहात्म्य है ? इस भाव तो हमें यह नहीं पुसाता।
अरे भाई, यह बात तो ऐसी ही हुई कि जैसे किसी सेठ ने सायं ६ बजे से प्रातः ६ बजे तक के लिए रात की चौकीदारी पर एक चौकीदार को रखा, पर उसके यहाँ दिन के १२ बजे चोरी हो गई तो कहने लगा कि चौकीदार रखने से क्या लाभ है ? हटाओ इस चौकीदार को।