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णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन
भगवान आत्मा की प्राप्ति की तड़फवाले व्यक्ति की स्थिति कैसी होती है? इसे हम उस बालक के उदाहरण से अच्छी तरह समझ सकते हैं कि जिसकी माँ मेले में खो गई हो। एक पाँच वर्ष का बालक माँ के साथ मेला देखने गया था। मेले की अपार भीड़ में वे दोनों बिछुड़ गये। एक पुलिस चौकी पर माँ पहुँची और उसने बेटा खोने की रिपोर्ट लिखाई; दूसरी पुलिस चौकी पर बेटा पहुँचा और उसने माँ के खोने
की रिपोर्ट लिखाना चाही। पर उसकी रिपोर्ट को सही रूप में कोई लिखता ही नहीं है।
इन्सपेक्टर ने काँस्टेबल से पूछा-"कौन है?" काँस्टेबल ने उत्तर दिया-"एक खोया हुआ बालक आया है।"
बालक ने बीच में ही टोकते हुए कहा-"इन्सपेक्टर साहब मैं नहीं, मेरी माँ खोई है; मैं तो आपके सामने ही खड़ा हूँ।" । ___ डपटते हुए काँस्टेबल बोला-"चुप रह, कहीं माँ भी खोती है? खोते तो बच्चे ही हैं।"
आखिर उन्होंने यही रिपोर्ट लिखी कि एक खोया हुआ बालक आया है। जो भी हो; अब बालक से पूछताछ आरम्भ होती है।
"क्यों भाई, तुम्हारा नाम क्या है?" 'पप्पू' "तुम्हारी माँ का क्या नाम है?" 'मम्मी' "तुम रहते कहाँ हो?" "अपने घर में" बालक के ऐसे उत्तर सुनकर पुलिसवाले आपस में कहते हैं कि जब यह बालक अपनी माँ को पहिचानता ही नहीं है, उसका नाम तक भी नहीं जानता है तो इसकी माँ को कैसे खोजा जाय?