________________ 112 णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन हो गई ? ___ डॉ. साहब - यह बात ऐसी है कि समझौते कुछ लेकर और कुछ देकर होतें हैं; लेकिन समझौते में जो अधिक त्याग करेगा, वह महान बनेगा; जो ज्यादा लेने का प्रयत्न करेगा, वह महान सिद्ध नहीं होगा। जहाँ तक भारतीय जनता का सवाल है, वह यह नहीं जानना चाहती कि तुमने क्या दिया और क्या लिया ? वह तो समझौता होने पर शांति की सांस लेगी। उसे समझौते में ही प्रसन्नता होगी। ___भारतीय जनता को समझाया जाय कि मन्दिर बहुत सुन्दर और विशाल बनेगा पर थोड़ा-सा 50 कदम हटकर बनेगा। इससे भारतीय मानस एकदम आन्दोलित होनेवाला नहीं है। मेरे कहने का मतलब यह है कि बात समझाई जा सकती है। ऐसे ही मुस्लिम भाईयों को भी समझाया जा सकता है कि मस्जिद बनेगी, पर 50 मीटर दूर बनेगी। यहाँ सुन्दरतम प्रांगण बनेगा, बाग बनेगा या और कोई ऐसा कार्य होगा, जो सभी का हो और किसी का न हो। इसमें सवाल उदारता का है; जो उदारता दिखायेगा, वह महान सिद्ध होगा। हमारा देश दान के लिए प्रसिद्ध है, वह हमेशा अपना सर्वस्व देने को तैयार रहता है। जिसे महान बनना है, उसे लेने से ज्यादह बल देने पर देना पड़ेगा। यही एकमात्र रास्ता है। तुम उतावली न करो, मैं सत्य का उद्घाटन भी करूंगा और संगठन भी कायम रखूगा। मेरे द्वारा न सत्य की कीमत पर संगठन होगा और न संगठन की कीमत पर सत्य ही छोड़ा जाएगा। धर्म के लिए सत्य जरूरी है और समाज के लिए संगठन / अतः धार्मिक समाज का काम है कि वह सत्य का आश्रय ले और संगठन को भी बनाए रखे। विघटन समाज को समाप्त कर देता है और असत्य धर्म को। दोनों की ही सुरक्षा आवश्यक है। - सत्य की खोज, पृष्ठ-118