Book Title: Namokar Mahamantra Ek Anushilan
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 110
________________ १०६ णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन बदलना इतना आसान तो नहीं; सच्ची लगन और निष्ठापूर्वक वर्षों तक इस दिशा में सक्रिय रहने की आवश्यकता है। मुझे विश्वास है कि एक न एक दिन हमारा श्रेय सफल होगा ही। सफल वार्ता की निर्मल भूमिका के लिए आपको भी कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे आवश्यक चर्चा के लिए सदाशयता का वातावरण बन सके।" मेरी यह भावना जानकर सेठीजी ने जिस प्रसन्नता से उसका स्वागत किया था, उससे मुझे आशा बंधी थी कि अब वातावरण में कुछ न कुछ नरमी अवश्य आयेगी। कुछ समय तक मुझे ऐसा लगा भी कि वातावरण सुधर रहा है, पर बाद में फिर गाड़ी उसी लाइन पर चल निकली। उसके बाद अभी तक तो कोई प्रसंग बना नहीं है, अब देखें कब बनता है ? एकता, शान्ति, सहयोग का वातावरण जिसप्रकार आज सारी दुनिया में बन रहा है बड़े से बड़े विरोधी जिसप्रकार एक टेबल पर बैठकर समस्याएँ सुलझा रहे हैं; उससे लगता है कि काल ही कुछ ऐसा पक रहा है कि जिसमें सभी समीकरण बदल रहे हैं; शत्रु नजदीक आ रहे हैं, मित्र दूर जा रहे हैं। दिगम्बर समाज के क्षितिज पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। कह नहीं सकते भविष्य में कब क्या समीकरण बने? अत: इस समय बड़ी ही सतर्कता से समाज व धर्म के हित में काम करने की आवश्यकता है। समय की अनुकूलता का समाज के हित में उपयोग कर लेना ही बुद्धिमानी है; क्योंकि गया समय फिर लौटकर वापिस नहीं आता। मैं सदा आशावादी रहा हूँ। अत: मुझे पूर्ण विश्वास है कि एक दिन ऐसा अवश्य आयगा कि सन्देह के बादल विघटित होंगे और समाज में एकता के साथ-साथ नई स्फूर्ति भी आयेगी।

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