Book Title: Namokar Mahamantra Ek Anushilan
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 51
________________ जीवन-मरण और सुख-दुःख _४७ महीनों तो लगते ही नहीं; तथापि वह अपनी भावना को व्यक्त नहीं करता, यही कहता है कि हाँ-हाँ, सब ठीक है, पर उत्तर घर पहुँच कर वहाँ से देंगे। क्यों ? क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता है कि यदि वह अभी ही अपनी नापसंदगी व्यक्त कर देगा तो वातावरण बोझिल हो जायेगा, चाय-पानी भी संकट में पड़ जायेगा और पसंदगी व्यक्त कर देने पर पिता को सौदा करने का अवसर नहीं रहेगा; अत: वह चतुराई से काम लेता है। ___ मान लीजिए कि वह आपके यहाँ लड़की देखकर आपके पड़ौसी के घर भी गया; क्योंकि उसकी उनसे पुरानी जान-पहचान थी, जैसा कि अक्सर होता ही है। जब उसके घर पहुँचने के महीनों बाद उसके पिता का उत्तर आया कि हमारे लड़के का अभी तीन वर्ष शादी करने का विचार नहीं है तो आप उद्वेलित हो जाते हैं। अरे भाई ! यदि अभी शादी करने का विचार नहीं था तो फिर लड़की देखने ही क्यों गया था ? पर बात यह है कि भारतीयों का मना करने का तरीका ही यह है और यह ठीक ही है; क्योंकि किसी लड़की को अयोग्य बताकर इन्कार करना अच्छी बात तो नहीं है; अत: समझदार लोग इसीप्रकार का उत्तर देते हैं। उनका इसप्रकार का उत्तर पाकर आपके चित्त में एक आशंका खड़ी हो जाती है कि लड़के ने लड़की को तो एकदम पसंद कर लिया था, पर बाद में पड़ोस में गया था; हो सकता है कि पड़ोसी ने उसे भड़काया हो, इसीलिए इन्कारी का उत्तर आया है। इसप्रकार की कल्पना करके आप व्यर्थ ही पड़ोसी से द्वेष करने लगते हैं। ___मैं यह नहीं कहता कि पड़ोसी ने उसे बरगलाया नहीं होगा; क्योंकि भारत में ऐसे पड़ोसियों की भी कमी नहीं है, गली-गली में ऐसे पड़ोसी मिल जायेंगे; पर यह अवश्य कहना चाहता हूँ कि पड़ोसियों के बरगलाने से कुछ होता नहीं

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