Book Title: Nabhak Raj Charitram Gujarati
Author(s): Merutungasuri, Sarvodaysagar
Publisher: Charitraratna Foundation Charitable Trust
View full book text ________________ श्रीमेकतुजसूरिविरचित शीनामाकराजाच्चरितम् श्री मेरूतुजन्सूर्यिविरचितं श्रीनाभाकराजाचारिताम् / / प्रारिप्सितस्य ग्रन्थस्य निर्विघ्नपरिसमाप्तये ग्रन्थकारो ग्रन्थादावाशीर्वादात्मकं मङ्गलं निबध्नाति - सौभाग्येत्यादिना। सौभाग्यारोग्यभाग्योत्तममहिमामतिख्यातिकान्तिप्रतिष्ठा अनेकशीपतिब्रम्हजिष्णुश्रीदविभूषितम् // तेज:शौर्यार्जवसम्पद् विनय-नय-यश:सन्ततिप्रीतिमुख्याः / क्षितिप्रतिष्ठितं नाम पुरं स्वपुरजित्वरम् // 7 // भावा यस्य प्रभावात् प्रतिपदमुदयं यान्ति सर्वे स्वभावात् सर्वाङ्ग रत्नाभरणाभिभूषितैर्यदीयभोगीशशतैस्तिरस्कृता। श्रीजारापल्लिराज: स भवतु भगवान पार्श्वदवो मुदे वः // 1 // शीर्षस्फुरद्रत्नवरेकमण्डिता भोगावती युक्तमगादसातलम् // 8 // श्री वीरजिनमानम्य सम्यक् नाभाकभूपतेः॥ तत्र श्रीमान् महारूपनिरूपितपुरन्दरः॥ देवद्रव्याधिकारेऽदश्चरितं कीर्तयिष्यते // 2 // राजा नापाकनामाऽभूद, अभूमिः पापतापयोः॥९॥ श्री नाभाकनरेन्द्रस्य कथा श्रुतिपथागता॥ पुरा कलाकलिरनङ्गभावं वधूद्वयेनापि जगाम दीव्यन् / विधेव जाङ्गुली लोभ-विषं हन्ति विवेकिनाम् // 3 // वधूसहसैरपि सैष खेलन अवाप सर्वाङ्गमनोहरत्वम् // 10 // श्री नाभाकनृपाख्यानपानप्रीतमना: पुमान् / / तमन्यवा मुदासीनं सभायामेत्य भूपतिम् / / सदा सन्तोषसन्तुष्टः सर्वसम्पतिभाग् भवेत् // 4 // सत्प्राभृतं पुरस्कृत्य श्रेष्ठी कश्चिन्नमोऽकरोत् // 11 // पुरातनमुनिप्रोक्तं पुण्यं पुण्यार्थिनां प्रियम।। कस्त्वतं कुत: समायात: कुत्र यासीति भूभृता। नाभाकचरितं चित्रीयते केषां न चेतांसि // 5 // पृष्टे स्पष्टमाचष्ट श्रेष्ठी राजन् निशम्यताम् // 12 // जम्बूद्वीपाभिघे द्वीपे क्षेत्रे भरतनामके। श्रेष्ठी धराव्यनामाऽहं श्रीवसन्तपुरे वसन् // श्रीपार्श्वनाथश्रीनेमिनाथयोरन्तरे ऽभवत् // 6 // श्री शत्रुअययात्रार्थ चलितोऽत्र समागमम् // 13 // ******** **** *
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