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महाजन वंश के मुख्य गौत्र उपकेशपुर में वीरात ७० वर्षे महाजनवंश की स्थापना हुई उसके पश्चात् ३०३ वर्षों में एक दुर्घटना बनी जिसकी शान्ति के लिये स्नानपना पढ़ाई उस में निम्न लिखित १८ गौत्र के लग स्नात्रीय बन पूजा में लाम लिया था। उन गौत्रों के नाम और बाद में हुई शाखाएँ।
१-तातेड़ गोत्र ( तोडियाणि आदि २२ शाखा हुई) २-वाफणा ( नहाटा, जांघड़ा, बेताला, बलोटा, बालिया, पटका,
दफतरी आदि ५२ शाखा एक गोत्र से हुई) ३-करणावट ( बागड़िया सघवी आदि १४ शाखाए) ४-वलाह (रांका वोका सेठ छावत चोधरी २६) ५-मोरख (पोकरणा संधवी तेजरादि १७ शा०) ६-कुलहट (सुरवा सुसाणी आदि १८ शाखा) --विरहट ( भुरंट नोपत्तादि १७ शाखाए) ८-श्री श्रीमाल (निलडिया झाबाणी आदि २२ शाखा) ९-श्रेष्टि ( वैद्यमेहता सोनावत शूरमादि ३० शाखा) १०-संचेति (छेलडिया बिबादि ४४ शाखाएँ) 1-अदित्यनाग ( चोरड़िया पारख गुलेछा सावसुखा नामरिया
गदया आदि ८५ शाखाऐ इस गौत्र से निकली ) १२-भूरि (भटेवरा उडकादि २० शाखा) १३-भाद्र (समदडिया भांडावत हिंगड़ादि २९ शाखा) १४-चिंचट ( देसरड़। ठाकुरादि १९ शाखाएं) १५-कुमट ( कांजलिया धनंतरी आदि १९ शाखाए) १६-डिडू (राजोत् सोसलाणी कौचरमेहसादि २१ शाखा) १७-कनौजिया (बडमटा तेलियादि १७) १४-लघष्टि ( वर्धमाना लुनेचादि १६)
इन के अलावा सुंधड़ दुघड़ चण्ढालिया लुनाक्त छाजेड़ वागरेचादि कई जातिए इसी गच्छ के आचार्यों ने बनाइ ।
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