Book Title: Maran Bhoj
Author(s): Parmeshthidas Jain
Publisher: Singhai Moolchand Jain Munim

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Page 9
________________ परिचय । - स्वर्गीय श्रीमान् सिंघई मौजीलालजी जैन वैद्यका जन्म यू० पी० के झाँसी जिलान्तर्गत महरौनी नगरमें माश्विन विक्रम संवत् १९३५ में हुमा था। आपके पितानीका नाम श्री० सिंघई दयाचंद्रजी था। ___ मापके तीन पुत्र हुए। अपने लघु पुत्र पं० परमेष्ठीदासजीके ज़हन, प्रतिमा, उत्साह और कर्मठतासे उन्होंने इस जात्युत्थान और धर्म प्रमावनाकी खातिर मर-मिट-जाने-के-अरमान-वालेको पहिचान लिया। चुनांचे, अपने बड़े लड़कों की मुलाजमत ललितपुरमें होनेके कारण जब ये महरौनीसे ललितपुर सकुटुम्ब तशरीफ़ ले आए, और वहां व्यापारिक असफलतासे उत्पन्न मार्थिक सङ्कटके वावजूद हर हालतमें परमेष्ठीदासजीको पढ़ाना जारी रखा, जिसका मुवारिक नतीजा यह निकला कि भान जैन कौम अपने इस फ़रज़न्द पर नाज़ करती है। जैन समाजके इस Whip ने हमेशा धर्मके दायरेमें रहकर प्रेस और प्लेटफार्मसे समयोचित क्रांतिके नारे बुलन्द किये । जिनवाणी माताके दामनको “चर्चासागर " जैसी नापाकीज़गीसे पङ्किल होनेसे बचानेमें, 'दस्साओंको पूजाधिकार' दिलाने में, जैनागमसम्मत 'विजातीय-विवाह ' का प्रोपेगेण्डा करने, 'जैनधर्मकी उदारता' का दिग्दर्शन कराने में, उन्होंने जिस शक्तितस संलमताके साथ काम किया है उसे क्या कभी सहृदय-विचारक जैन समाज भूल सकेगी! Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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