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मरणमोज ।
नसीहतके या किसी दूसरे तरीके से नुक्ता करने या लान बांटने की उत्तेजना दे । जो इसके खिलाफ कार्य करेगा उसे ५०० ) तक जुर्माना या एक हफ्तेकी सजा या दोनों सजायें दी जावेंगी । इस कानून के खिलाफ कार्य होने की इत्तला यदि मजिस्ट्रेट के पास पहुंचे तो वह उसे रोकने के लिये नोटिस देगा । और यदि उसका पालन न किया गया तो १०००) जुर्माना या एक महीने की सजा या दोनों सजायें दी जा सकेंगी। कानूनके खिलाफ काम करनेवालेकी इतका अदालत में देनेवालेको जुर्माने की अघी रकम तक दी जा सकेगी ।
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इसी प्रकार अलवर और जोधपुर आदि स्टेटोंमें भी नुक्ता निषेवक कानून बनाये गये बनाये गये थे, किन्तु वे अधिक समय तक नहीं चले । कारण कि उनमें बहुत ढीक और छूट थी तथा उस ओर विशेष ध्यान भी नहीं दिया गया | ग्वालियर और होल्कर स्टेटके कानून यद्यपि बहुत ढीले हैं, फिर भी कुछ न कुछ तो प्रतिबंध रहेगा ही। मुझे जहांतक मालूम हुआ है इन्दौर में लोग मरणभोज न करके जलयात्रा, रथयात्रा, स्वामिवत्सल आदिके नामपर जिमाते हैं - इसलिये कानूनका ठीक अमल नहीं होने पाता । दूसरी बात यह है कि धार्मिक दृष्टिका विचार कर मरणभोज भोजियोंकी संख्या भी निश्चित की गई है, जो इन्दौर स्टेटमें तो बहुत ज्यादा है। फिर -भी इन कानूनोंसे जो जितना प्रतिबन्ध हो सके उतना ही ठीक है ।
इन कानूनोंमें सबसे अच्छी बात तो यह है कि किसीको भी 'कान' बांटने की छूट नहीं दी गई है। और मरणभोज विरोधी
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