Book Title: Maran Bhoj
Author(s): Parmeshthidas Jain
Publisher: Singhai Moolchand Jain Munim

View full book text
Previous | Next

Page 43
________________ मरणभोज निषेधक कानून | ऐसा न करनेको नोटिस देगा। फिर भी यदि कोई उसका उल्लंघन करेगा तो उसे १०००) जुर्माना और एक माह तक की सजा होगी। नुक्ता करनेवाले के विरुद्ध यदि कोई दावा दायर करे और उसमें अपराधी सजायाच हो तो मदालत उसके जुर्माने में से आधी रकम दावा करनेवालेको इनाम दे सकेगी और गलत साबित होने पर १००) तक दण्ड भी कर सकेगी।" W (२) होल्कर स्टेट - इन्दौर नुक्ता कानूनकी स्वीकृति होल्कर स्टेटके लिये महाराजा सा०ने १० जून सन् १९३१ को दी थी और ता० १५ जून ३१ से उसका अमल किया जारहा है। इस कानूनका सार यह है - " नुक्ता शब्दमें मोसर, चहल्लम, बरसी, छमासी मृत्यु संबन्धी रसोई, व इतर ऐसे भोजोंका समावेश होगा जो किसी मनुष्यकी मृत्युके उपलक्षमें किये जायं । कोई भी व्यक्ति अपने यहां किसी नुक्ते में १०१ से अधिक मनुष्योंको भोजन नहीं जिमा सकेगा। आर्थिक परिस्थितिकी चौकसी करके जिलाधीश ४०० व्यक्तियों तक के जिमाने की स्वीकृति दे सकेंगे । इस संख्या से अधिक किसी सूरत में भी नहीं जिमाये जा सकेंगे । इस संख्या में उन रिश्तेदारों का समावेश नहीं होगा जो मृतकके कुटुम्बियों के साथ समवेदना प्रगट करने के लिये आये हों । वशर्तें कि उन्हें नुक्तेका निमंत्रण भेजकर न बुलाया हो । कोई भी व्यक्ति किसी मृत्युके संबंध में लान या दीगर नामसे अपनी जातिमें बर्तन नहीं बांट सकेगा। किसीको यह अधिकार न होगा कि वह दूसरे किसी व्यक्तिको वज़रिये दबाव या घमकी यह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122