Book Title: Maran Bhoj
Author(s): Parmeshthidas Jain
Publisher: Singhai Moolchand Jain Munim

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Page 103
________________ मरणभोज कैसे रुके १ [ ८९ : परिस्थिति के अनुसार अनेक उपाय हो सकते हैं । किन्तु मैं यहांपर कुछ सर्वसामान्य उपाय लिख रहा हूं १ - यदि आप मरणभोज के विरोधी हैं और यदि इस पुस्तकको पढ़ने के बाद कुछ दया उत्पन्न हुई है तो प्रतिज्ञा करिये कि मैं किसी भी मरणभोज में न तो भोजनके लिये सम्मिलित होऊँगा और न इस कार्य में किसी भी प्रकारका सहयोग ही दूंगा । २- यदि आपके घर में, कुटुम्बियों में या रिश्तेदारोंमें मरणभोज होरहा है तो मात्र आपके न जाने या उपेक्षा रखने से काम नहीं चलेगा, किन्तु आप साहसपूर्वक उसका डटकर विरोध करिये, समझाइये और इतने पर भी सफलता न मिलने पर उसके विरोध स्वरूप उपवास करिये । और उसे सबपर प्रगट कर दीजिये । ; ३ - अपनी जातिमें, ग्राम में और आसपास के ग्रामोंमें जाकर तथा मेला, प्रतिष्ठा या समादिके समय लोगों में मरणभोज विरोधी प्रचार करिये । तथा अधिक से अधिक लोगोंसे मरणभोज विरोधी प्रतिज्ञापत्र भराइये, जो " ला० तनसुखरायजी जैन मंत्री दि० जन परिषददेहली " को पत्र देने से यथेष्ट संख्या में मुफ्त मिलेंगे । ४ - जब आपको मालूम हो कि कहीं मरणभोज होनेवाला है तब आप कुछ प्रभावक लोगोंको साथ लेकर वहां समझाने जाइये और उचित मार्ग बताइये । यदि समझाने पर वह न माने तो उसे स्वयं या अपने किसी मण्डलकी ओरसे चेतावनी दीजिये कि यदि आप मरणभोज करेंगे तो हम डटकर विशेष करेंगे। यदि इसमें भी सफलता न मिले तो मरणभोज विरोधी इश्तिहार छपाकर जीमने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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