Book Title: Maran Bhoj
Author(s): Parmeshthidas Jain
Publisher: Singhai Moolchand Jain Munim

View full book text
Previous | Next

Page 104
________________ ९.] वालोंके घर तथा भाम जनतामें बांटना चाहिये तथा उसमें अपना निश्चय प्रगट कर देना चाहिये। फिर भी यदि सफलता न मिले तो भपनी मण्डलीके कुछ साहसी युवकोंको तथा कुछ बहिनोंको लेकर मरणभोज करनेवालेके दरवाजे पर शांत एवं अहिंसापूर्ण पिकेटिंग (धरना) करिये । फिर देखिये कितने निष्ठुरहृदयी मापकी छातीपर पैर रखकर भोजन करने भीतर घुसते हैं। श्रीमती लेखवतीजी जैनके शब्दोंमें तो "बहिनोंको भी पिकेटिंग करना चाहिये, फिर भी जिन निष्ठुर पुरुषोंको मरणभोजमें जाना होगा वे भले ही बहिनोंकी छातीपर लात रखकर चले जावें ।" ५-प्रत्येक नगरमें मरणभोज विरोधी दल स्थापित होना चाहिये अथवा प्रत्येक मण्डल, युवकसंघ, विद्यार्थी संघको यह कार्य अपने हाथमें लेना चाहिये । सफलता अवश्य मिलेगी। साहसी युवको! मुझे तुमसे बहुत आशा है। तुम प्रतिज्ञा करो और अपने मित्रोंसे प्रतिज्ञा कराभो कि हम मरणभोजमें किसी प्रकारका भाग नहीं लेंगे। समाजमें मरणभोन जैसी राक्षसी प्रथा चालू रहे और युवक देखा करें यह तो युवकोंके सिर सबसे बड़ा कलंक है । इस कलंकको मिटानेके लिये मरणभोज विरोधी जबर्दस्त मान्दोलन उठाओ। मच्छे कामोंमें सफलता अवश्य मिलती है। विवेकशील बहिनो ! तुम तो दया और करुणाकी मूर्ति हो । फिर क्यों इस निर्दयतापूर्ण रूदिको पुष्ट कर रही हो ! यदि तुम मरणभोममें जाना छोड़ दो, उसमें किसी प्रकारका भाग नहीं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122