Book Title: Maran Bhoj
Author(s): Parmeshthidas Jain
Publisher: Singhai Moolchand Jain Munim

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ १०] मरणभोज। जाय । और समाजसे अनुरोध करती है कि वह किसी भी भायुके स्त्री पुरुषका मरणभोज न करे और ऐसे घातक कार्यमें कतई भाग न ले। साथ ही मरणोपलक्ष माजी व लान न बांटे।" इस प्रस्तावके विवेचनमें मैंने अनेक करुणाजनक सच्ची घटनायें पेश की और इस अत्याचारपूर्ण प्रथाके विनाशके लिये जनतासे अपील की। घटनाओंको सुनकर श्रोताओंका हृदय कांप उठा। जिसका परिणाम यह हुआ कि करीब एक हजार स्त्री पुरुषोंने उसी समय मरणभोज त्यागकी प्रतिज्ञा करली। मेरे प्रस्तावके समर्थनमें श्री० चिरंजीलालजी मुंसिफ अलवर, सेठ पदमराजजी जैन रानीवाले कलकत्ता, पं० अर्जुनलालनी सेठी मादि अनेक विद्वान नेताओंने भाषण दिये थे। ___श्री. सेठ पदमराजजी जैन रानीवालोंने कहायह कितने दुःखकी बात है कि भाज इस युगमें भी जैमोंमें मरणभोजकी अमानुषी प्रथा प्रचलित है। माजमे १५ वर्ष पूर्व मैंने अपने मित्र समूह सहित इसपर खूब विचार किया और कार्यवाही की थी। किन्तु अभीतक यह प्रथा बन्द नहीं हुई ! समान सुधार छिपनेसे नहीं होगा। स्पष्ट कहिये कि हमारे समाज सुधारमें बाधक कौन हैं ? उत्तरमें कहना होगा कि वे पंच नामधारी पुतले ही बाधक हैं जिनके दुश्चरित्रों का नाम तक लेते नहीं बनता । हमें उनकी परवाह न करके साहसपूर्वक आगे बढ़ना चाहिये । और इन समानघातनी प्रथाओंका शीघ्र ही विनाश करना चाहिये। श्री. पं० अर्जुनलालजी सेठीने कहा:-अभी परमे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122