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मरणभोज विरोधी मान्दोलन ।
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[ ३१ फरयाद करनेवालेको (मुकदमे में दण्ड होनेपर) इनाम देनेकी घोषणा की गई है। इसलिये युवकोंको साहसपूर्वक इन कानूनों का उपयोग करना चाहिये । यदि इसी प्रकार या इससे भी कड़ा कानून बृटिश भारतमें बन जाय तो देशका बहुत भला हो । मरणभोजके बोझ से भारतीय समाज मरी जा रही है। देश हितैषियोंका कर्तव्य है कि वे उसे शीघ्र ही बचा लें। जैन समाजमेंसे तो यह पाप सबसे पहले निकल जाना चाहिये । इसके लिये हमारी परिषद आदि संस्थाओं और जीवित युवक संघको प्रयत्न करना चाहिये । प्रयत्न और मान्दोलनका प्रभाव तत्कालन होकर भी धीरे धीरे तो अवश्य होता है । इसलिये हमें प्रयत्न करना चाहिये कि जनमत मरणभोजके विरुद्ध हो जाय ।
मरणभोज विरोधी आन्दोलन ।
जब तक समान किसी कार्यके हिताहितको नहीं जान पाती वहां तक उसे छोड़ नहीं सकती। इसलिये अन्य कुरूढ़ियोंकी भांति मरणभोजके विरूद्ध भी प्रबल आन्दोलन होने की आवश्यक्ता है । कुछ वर्षोंसे हमारी सामाजिक सभाओं और युवक संघों आदिका इस ओर ध्यान गया है । और उनने मरणभोज विरोधी प्रस्ताव करके या मरणभोजकी अमुक आयु निश्चित करके इस पापको कुछ हल्का किया है।
जैन समाज में सबसे पुरानी सभा मा० दिगम्बर जैन महासभा है, किन्तु दुर्भाग्य की बात है, कि उसने मरणभोजके विरुद्ध कोई प्रयत्न नहीं किया । वह करती भी कैसे ? कारण कि नाथ मी उसके
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