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राजस्थान जैन सभा के कार्यक्रमों में कार्यकारिणी समिति के सभी साथियों का समय समय पर मुझे सम्पूर्ण सहयोग मिलता रहा है, विशेष रूप से सभा की कार्यकारिणी समिति के वरिष्ठ साथी श्री कपूरचन्दजी पाटनी ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपनी कुशलता से कार्य को सफल बनाने में मेरी मदद की है। वे संस्था के तो प्राण ही हैं । संस्था के अन्य वरिष्ठ साथी श्री प्रवीणचन्द्रजी छाबड़ा भी मुझे मार्ग दर्शन देते रहे है । मैं उन सब का भी अत्यन्त आभारी हूँ।
मैं संस्था के उपाध्यक्ष श्री ताराचन्दजी शाह एवं श्री पूनमचन्दजी शाह का भी प्राभारी हूं जिन्होंने समय समय पर अपनी राय देकर सभा को लाभान्वित किया है । संस्था के मंत्री श्री बाबूलाल जी सेठी सम्पूर्ण वर्ष भर सामाजिक सेवा की भावना से कार्य करते रहे हैं, यदि यह कहा जावे कि सेठी जी की लग्नशीलता एवं कर्तव्य निष्ठा ही सभा को गति दे सकी तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। श्री सेठी के साथ श्री प्रकाशचन्दजी ठोलिया एवं श्री भागचन्दजी छाबड़ा ने भी पूर्ण तन मन से कार्य किया है। मैं उनका भी प्राभारी हूं।
श्री वीर सेवक मण्डल का भी समय समय पर सहयोग मिलता रहा है उनके प्रति प्राभार प्रकट किये बिना भी मेरा कार्य अधूरा है।
मुझे श्री ज्ञानप्रकाश बक्षी, श्री राजेन्द्रकुमार बिल्टीवाला, श्री हेमकुमार चौधरी. श्री महेशचन्द काला, कैलाशचन्द गोधा, श्री अरुणकुमार सोनी, कुमारी प्रीति जैन आदि का भी विशेष सहयोग मिलता रहा है । मैं उनका भी भाभारी हूं।
स्मारिका के प्रकाशन में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जिनका सहयोग रहा है उनका वर्णन किये बिना भी नहीं रहा जाता। श्री रमेशचन्द्र जी गंगवाल ने विज्ञापन समिति के संयोजन का भार वहन कर मेरी काफी मदद की है उनके साथ सर्व श्री देशभूषणजी सोगानी, सुमेरकुमार जैन मुन्नीलाल जैन, महेशचन्द काला, कैलाशचन्द वैद प्रादि के सहयोग को भी नहीं भुलाया जा सकता है अर्थ-व्यवस्था में सर्वश्री सुरज्ञानीचन्द लुहाडिया. ताराचन्द साह. देवकुमार शाह, कैलाशचन्द सोगानी त्रिलोक चन्द काला, तेजकरण सोगानी प्रादि का भी काफी सहयोग रहा है । मैं विज्ञापनदातामों का भी प्राभारी हूं जिन्होंने स्मारिका के महत्व को समझ कर विज्ञापन देकर इस स्मारिका को मूर्त रूप देने में मदद की है।
मैं समाज के उन सभी लोगों को जिन्होंने विभिन्न समितियों के संयोजक के रूप में भार वहन कर कार्य को सफल बनाया धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकता हूं।
___ स्मारिका का मुद्रण कार्य मूनलाइट प्रिन्टर्स ने किया है। इसके मालिक श्री महावीर प्रसाद जैन एवं प्रेस के अन्य कर्मचारियों के परिश्रम के फलस्वरूप यह स्मारिका समय पर ही पाठकों के हाथ में है वे भी धन्यवाद के पात्र है।
___ स्मारिका में रही त्रुटियों के लिए मैं अपना उत्तरदायित्व स्वीकर करता हूं। भविष्य में इससे भी सुन्दर रूप में स्मारिका प्रकाशित हो सके एतदर्थ पाठकों के सुझावों का स्वागत है। मुझे प्राशा पौर विश्वास है कि पाठकगण पूर्व की भांति प्रस्तुत स्मारिका से लाभान्वित होंगे। स्मारिका में कोई भी कमी है तो इसका दोषी मैं ही हो सकता हूं भविष्य में और सुन्दर बनाई जाने हेतु पाठकों के सुझाव मामन्त्रित हैं।
राजकुमार काला
प्रध्यक्ष
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