Book Title: Maharaj Chatrasal
Author(s): Sampurnanand
Publisher: Granth Prakashak Samiti

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir महाशय इस सम्बन्धमें अधिक ऐतिहासिक सामग्री एकत्र करके महाराज छत्रसालका विस्तृत जीवन लिखेंगे जिससे समाजको अधिकतर लाभ होगा। यदि यह पुस्तक सुलेखकोंका ध्यान इस ओर आकर्षित कर सके तो मैं अपनेको धन्य मानूंगा; क्योंकि ऐसे महत्वपूर्ण जीवनका यथोचित चित्र स्वींचना मेरी शक्ति के बाहर है। ___ इस पुस्तक लिखने में मुझे 'The Imperial Gazetteer of India,' प्रोफेसर यदुनाथ सर्कारकृत History of Aurangzebe', लाल कविकृत 'छत्रप्रकाश, राय बहादुर ठाकुर महाराजसिंहकृत 'इतिहास बुंदेलखण्ड' और काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित भूषण ग्रन्थावली से बहुत कुछ सहायता मिली है, जिसके लिये मैं इन पुस्तकों के लेखको और प्रकाशकोका अत्यन्त ऋणी हूँ। सबसे अधिक सहायता मुझे कुँवर कन्हैयाजूकृत 'बुन्देलखण्ड-केसरी' से मिली है । यदि मुझे कुँवरजीकी पुस्तकका सहारा न मिलता तो शायद मेरी पुस्तक लिखी ही न जा सकती। इसलिये उनको मैं जहाँतक धन्यवाद दूँ थोड़ा है। । अन्त में मैं अपने मित्र पण्डित बनारसीदासजी चतुर्वेदी, (अध्यापक, डैली कालेज, इन्दौर) को जो समय समयपर सुसम्मति देनेकी कृपा करते रहे हैं, अनेक धन्यवाद देना चाहता हूँ। काशी, मार्गशीर्ष कृष्ण २) १६७३ । सम्पूर्णानन्द । For Private And Personal

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