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महाकवि दौलतराम कासलीवाल- व्यक्तित्व एवं कृतित्व
हेय उपादेयंनि को, जो विचार अविकार | सो विवेक भासें बुधा, ता सम और न सार ।।२२।। पढ़ सुनें अर सरदहैं, इह जु विवेक बिलास | सो अविवेक निवारिक पार्श्व निजपुर वास ॥६२३ ।। निजपुरी हि कोई पुरा यहां काल भय नाह कर्मन भर्मन कलपना सुख अनंत जा मांहि ।। ६२४ ।।
इति श्री विवेक विलास संपूरणं । लिखी सबाह बंपुर में मिली पोस सुदि ३ श्री सपतवार संवत १८२७ ।। बाचे जीने श्री स्वद बंधनां ॥ श्री ॥