Book Title: Mahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Sohanlal Sogani Jaipur

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Page 412
________________ २६६ महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व स्पं कृतित्व अयानंतर मुक्ति प्राप्त भये जे प्रगट स्वरूप परमातमा साके कथन की मुख्यतः करि तिहू इण वंदिउ इत्यादि दोहा दस ।।१०।। प्रथानंतर देह विर्ष तिष्टता सक्तिरूप परमात्मा ताके कथन की मुख्यता करि जेहत निम्मल इत्यादि चोबीस दोहा ।।२४|| जिनि में पांच उक्त च है ।।५।। प्रथानंतर जीव का निज देह प्रमाण कथन ता विर्ष स्व मत परमत के विचार की मुख्यता करि भरणं ति जिउ सत्व गउ इत्यादि दोहा छह ॥६॥ बहरि द्रव्य गुण पर्याय का स्वरूप ताके कथन की मुख्यता करि प्राप जरिणय उ इत्यादि दोहा तीन ।।३।। बहरि कर्म विचार की मुख्मता करि जीवह कम्म अरणार जीय इत्यादि दोहा पाठ ।।८।। बरि सामान्य भेद भावना ताके कथन की मुख्यता करि अप्पाप्रप्युजि इत्यादि दोहा तीन ।।३।। बरि कर्म विचार की मुख्यता करि जीवह कम्म अाइ जिपरि अप्पे अप्पु इत्यादि योहा एक ||१|| बहूरि मिथ्या भाव के कथन को मुख्यता करि पहूं इरतउ इत्यादि दोहा साठ ॥८॥ बरि सम्यग दृष्टी को भावना को मुख्यता करि काल है, विगु इत्यादि दोहा पाठ ॥८॥ बहरि सामान्य भेदभाव की मुख्यता करि अप्पा संयम इत्यादि दोहा इकतीस ॥३१॥ इति श्री योगिंद्र देव विरचित परमारमा प्रकास प्रय ला विर्ष एक सो सेईस ।।१२३॥

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