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महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्य
ग्रतिदांनी अति सुदरनाथा,
प्रत्युत्तर पर अलिगुण साथा । तू जु अलक्ष अचक्ष अवर्णा,
द जु अनल अपन मारणः ३४।। अतिगति अपरस प्रतिपति तू ही,
तू अति चक्षु अवाल प्रभू ही । तू जु अनवर अंवर स्वामी,
अक्षीत तु अति अभिरामी ।।३।। तू जु अजीत अभीत अकल्ला ,
तू जु अतीत प्रतीत अटल्ला । तू ज अमूरित मूरति जना,
तू अति सूति अदभुत वैना ।। ३६।। अति धीरज तू अतुल अचल्ला,
अमरण अमृत अवश अखिल्ला । अरज अजो अजरो च अमल्ला,
तू जु अवस्यादेय असला ॥३७।। अरस अगंध जु रूप न तेरें,
अफरस तू हि जु शब्द न प्रेरै । प्रग अभयो जु अविक्त गुसांई,
अक्रिय रूपी अमन असांई ।।३।। अभिप्राय सु जाक नहीं कोऊ,
अभिप्राय जु ज्ञायक इकः होऊ । अपर अपार अजड़ अरनाथा,
प्रकर अवक्त वि ऋतिवडहाथा ।।६।।