SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 286
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७० महाकवि दौलतराम कासलीवाल-व्यक्तित्व एवं कृतित्य ग्रतिदांनी अति सुदरनाथा, प्रत्युत्तर पर अलिगुण साथा । तू जु अलक्ष अचक्ष अवर्णा, द जु अनल अपन मारणः ३४।। अतिगति अपरस प्रतिपति तू ही, तू अति चक्षु अवाल प्रभू ही । तू जु अनवर अंवर स्वामी, अक्षीत तु अति अभिरामी ।।३।। तू जु अजीत अभीत अकल्ला , तू जु अतीत प्रतीत अटल्ला । तू ज अमूरित मूरति जना, तू अति सूति अदभुत वैना ।। ३६।। अति धीरज तू अतुल अचल्ला, अमरण अमृत अवश अखिल्ला । अरज अजो अजरो च अमल्ला, तू जु अवस्यादेय असला ॥३७।। अरस अगंध जु रूप न तेरें, अफरस तू हि जु शब्द न प्रेरै । प्रग अभयो जु अविक्त गुसांई, अक्रिय रूपी अमन असांई ।।३।। अभिप्राय सु जाक नहीं कोऊ, अभिप्राय जु ज्ञायक इकः होऊ । अपर अपार अजड़ अरनाथा, प्रकर अवक्त वि ऋतिवडहाथा ।।६।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy