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________________ अध्यात्म बारहखड़ी आखला अभयंकर तू उद्यतद्योती, अखिलातम तू अखिल प्रज्योती । तु अपरधी अनत सु सक्ती, कैसे करिहौं तेरी भक्ति ।।२।। न जु अनिद्रासू जोगेसा, तू जु अतंद्रा प्रतिभेसा । त् जु अनामय आमय त्यक्ता, व्यक्त अध्यक्त सृव्यक्ता व्यक्ता ।।२६।। अनुभवगम्य मृगम्य अनूपा. अलभ अकथ्य अवाच्न अरूपा । अजर अछेद्य अभेछ अतीसा, अमर अलभ्य सूलब्ध यतीशा ।।३०॥ अचर प्रचितित न जु अशब्दा, अति भवदाह वुझावन अब्दा । तु जु अनिदित वंदित देवा, परम अनंदी अकाल अभेवा ।।३।। अतिदुल्लभ अतिवल्लभ स्वामी, अतिपावन अतिभावन नामी । अति मु दयाल अनुत्तर सांई, ____ अति सु कृपाल अपात गुसाई ॥३२॥ अतिधर्मी अभिवंद्य जिनिंदा, अतिज्ञानी अजरामर इदा । अतिमी अथकंद निकंदा, अतिध्यानी अघचुर मनिंदा ।।३३।।
SR No.090270
Book TitleMahakavi Daulatram Kasliwal Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherSohanlal Sogani Jaipur
Publication Year
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, History, & Biography
File Size7 MB
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