Book Title: Mahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Author(s): Vasudevsharan Agarwal
Publisher: Vasudevsharan Agarwal

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्यगोचरी ( ११ ) अभिमन्यु २०।१०-११)। श्रीकृष्णने अर्जुनको अन्ध्र, पुलिन्द आदि भगवान्ने ऋक् साम आदि श्रुतियोंके संग्रहका आदेश देशोंके योद्धाओंको मारनेका उत्साह दिलाया (कर्ण० दिया (शान्ति० ३४९।४०-४१)। स्वायम्भुव मन्वन्तरमें ७३।१९-२१)। (३) जातिविशेष । दक्षिणभारतीय इनके द्वारा वेदोंका विभाग हुआ, जिससे प्रसन्न होकर आन्ध्र-पुलिन्द आदि जातियोंको म्लेच्छ' कहा गया है भगवान्ने उन्हें सभी मन्वन्तरोंमें धर्मप्रवर्तक होनेका (शान्ति० २०७। ४२)। आशीर्वाद दिया तथा भविष्यमें वशिष्ठवंशी पराशरके अन्यगोचरी-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य०४६।२७)। ज्ञानवान्, तपोबलसम्पन्न पुत्ररूपमें अवतीर्ण होनेकी बात अन्वम्भान-मिश्रकेशी अप्सराके गर्भसे उत्पन्न रौद्रावके पत्र । बतायी (शान्ति• ३४९।४२-५९)। इनके दो नाम और मिलते हैं-ऋचेयु तथा अनाधृष्टि अप्सुजाता-स्कन्दकी अनुचरी मातृका (शल्य० ४६।४)। (आदि० ९४ । ८-१२)। अप्सुहोम्य-एक प्राचीन ऋषि, जो युधिष्ठिरकी सभामें अपरकाशि-भारतवर्षका एक जनपद (भीष्म० ९।४२)। विराजमान होते थे ( सभा० ॥१२)। अपरकुन्ति-भारतवर्षका एक जनपद (भीष्म० ९।४३)। अबल-पाञ्चजन्यद्वारा उत्पन्न किये गये पंद्रह उत्तरदेवों अपरनन्दा-एक नदी, जिसका दर्शन अर्जुनने किया था (विनायकों) मेंसे एक (वन० २२०।११)। (आदि० २१४।६-७)। युधिष्ठिरने भी इसकी यात्रा की अबन्धमायाद-कदम्बी न होनेपर भी उत्तराधिकारी पुत्र (वन० ११०१)। दैववंश ऋषिवंशके साथ कीर्तनीय (आदि.१९३२)।(छः प्रकारके पुत्र अबन्धुदायाद' पुण्य नदियोंमें अपरनन्दा'का भी नाम आया है कहलाते हैं। जिनके नाम इस प्रकार हैं-१. 'दत्त' (अनु० १६५।२८)। (जिसे माता-पिताने स्वयं समर्पित कर दिया हो)। २. अपरम्लेच्छ-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९।६५)। क्रीत (जिसे धन आदि देकर खरीद लिया गया हो)। अपरवल्लव-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९।६२)। ३. 'कृत्रिम' (जो स्वयं मैं आपका पुत्र हूँ—यों कहकर अपरसेक-एक मध्य भारतीय जनपद ( सभा० ३१।९)। समीप आया हो)। ४. सहोद ( जो कन्या-अवस्थामें ही गर्भवती होकर ब्याही गयी हो, उसके गर्भसे उत्पन्न )। अपराजित-(१) एक कश्यपवंशी नाग (आदि० ३५।१३; ५. शातिरेता' (अपने कुलका पुत्र )। ६. हीन जातिकी उद्योग० १०३ । १५) । (२) एक क्षत्रिय राजा । स्त्रीके गर्भसे उत्पन्न । ये कुटुम्बी न होनेपर भी सम्पत्तिके कालेय नामक आठ दैत्योंमेंसे एकके अंशसे उत्पन्न (आदि० ६७ । ४९)। इन्हें पाण्डवोंकी ओरसे रण अधिकारी होते हैं। अतः इन्हें 'अबन्धुदायाद' कहते हैं । निमन्त्रण प्राप्त हुआ ( उद्योग० ११२१)। (३) कौरव अभय-(१) धृतराष्ट्रका एक पुत्र (आदि० ६७१०४; धृतराष्ट्रका एक पुत्र (आदि० ६७।१०१)। भीमसेन- ११६॥१२ )। भीमसेनद्वारा इसका वध द्वारा इसका वध (भीष्म० ८८ । २१.२२)। (द्रोण०१२७१६२)। (२) एक प्राचीन भारतीय जनपद, (४) कुरु-पौत्र जनमेजय कुमार धृतराष्ट्र के कण्डिक आदि नौ जिसपर भीमसेनने विजय प्राप्त की (सभा० ३०१९)। पुत्रों से एक ( आदि० ९४।५०-५९)। (५) ग्यारह अभिजित्-(१) दिनका आठवाँ मुहूर्त । मुहूर्तविशेष । रुद्रोंमेंसे एक (शान्ति० २०८।२०)। (आदिपर्वके ६६ इसमें युधिष्ठिरका जन्म ( आदि० १२२ । ६)। वें अध्याय में जो ग्यारह रुद्रोंके नाम मिलते हैं, वे शान्ति- (२) रोहिणीकी छोटी बहिन । एक नक्षत्र (वन. पर्ववाले नामोंसे अधिकांश भिन्न हैं, उनमें अपराजित' नहीं है।) २३०।८)। अभिजित् नक्षत्रके योगमें मधु और घृत (६) भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० १४९।८९)। दान करनेसे स्वर्गकी प्राप्ति ( अनु० ६४ । २७ ) । अपरान्त-एक प्राचीन जनपद । दक्षिण भारतका वह प्रदेश अभिभू-काशिराज के पुत्र । पाण्डवपक्षके योद्धा (१)(उद्योग० जो पश्चिम समुद्र के किनारेपर है । यह प्रदेश पश्चिमी घाटके १५१ । ६३)। इनके वसुदानके पुत्रद्वारा मारे जानेकी पश्चिमी समुद्रके तटपर है ( भीष्म० ९।४७)। शूर्पारक- चर्चा (कर्ण० ६ । २३-२४)। इनके घोड़ोंका वर्णन क्षेत्रका दूसरा नाम (शान्ति० ४९।६७)। (द्रोण० २३ । २६-२७)। अपान्तरतमा-श्रीनारायणके भो' शब्दके उच्चारणसे प्रकट अभिमन्यु-अर्जुनके द्वारा सुभद्राके गर्भसे उत्पन्न हुए एक महात्मा पुरुष । भगवान्की वाक या सरस्वतीसे एक वीर राजकुमार ( आदि० ६३ । १२१% प्रादुर्भूत होनेके कारण इनका नाम सारस्वत हुआ । ये ही २२० । ६५)। ये चन्द्रमाके पुत्र वर्चा' के अवतार ये अपान्तरतमाके नामसे विख्यात हुए (शान्ति० ३४९।३८- (आदि.१७ )। सोलह वर्षतक ही इनका इस ३९)। ये त्रिकालज्ञ थे। इन्हें वेदोंकी व्याख्याके लिये भूतलपर रहनेका कारण (आदि० ६७ । ११३-१२५)। For Private And Personal Use Only

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