Book Title: Mahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Author(s): Vasudevsharan Agarwal
Publisher: Vasudevsharan Agarwal

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुशासनपर्व अम्धक भीमसेनद्वारा इसका वध (द्रोण. १२७ । ६६)। २४-२६) । (२) इक्ष्वाकुवंशी महाराज ककुत्स्थके (२) अवन्तीके राजकुमार । विन्दके भाई । ये दोनों भाई पुत्र ( वन० २०२ । २)। प्रतापी सहदेवद्वारा दक्षिण-विजयके समय पराजित हुए थे अन्तक-चौदह यमोंमेंसे एक । ये पितरोंकी ओरसे पृथ्वी( सभा० ३१ । १०)। इन दोनों बन्धुओंका एक दोहनके समय दोग्धा थे (द्रोण. ६९ । २६)। अक्षौहिणी सेनासहित दुर्योधनकी सहायतामें जाना अन्तचार-एक प्राचीन भारतीय जनपद (भीष्म (उद्योग. १९ । २४.२५)। प्रथम दिनके संग्राममें ९।६८)। कुन्तिभोजके साथ इनका द्वन्द्व युद्ध (भीष्म० ४५ । अन्तर्गिरि-हिमालयकी भीतरी शृङ्खलाका एक जनपद ७२-७५ ) । अर्जुनपुत्र इरावान्द्वारा पराजित होना (भीष्म० ९ । ४९) । अर्जुनद्वारा इसपर विजय (भीष्म० ८३ । १८-२२) भीमसेन और अर्जुनके साथ युद्ध (भीष्मः ११३-११४ अध्यायोंमें )। चेकितानके (सभा० २७ । ३)। साथ युद्ध (द्रोण०१४ । ४८) । विराटके साथ युद्ध अन्तर्धान-कुबेरका एक अस्त्र (वन० ४१ । ३८)। (द्रोण. २५ । २०-२१, ९६ । ४-६ ) । अन्तर्धामा-मनुवंशी अङ्गके पुत्र और हविर्धामाके पिता अर्जुनद्वारा इसका वध (द्रोण० ३९९ । २७-२९)। (अनु० १४७ । २३)। (३) केकयराजकुमार । कौरव-पक्षका योद्धा । सात्यकि- अन्तर्याग-कान-नेत्र आदि दस होताओंद्वारा साध्य द्वारा वध (कर्ण० १३ । २१)। आध्यात्मिक यज्ञ ( आश्व० अ० २१ से २७ तक )। अनुशासनपर्व-महाभारतका एक प्रमुख पर्व । अन्तर्वृत्ति-स्वर्गकी प्राप्ति करानेवाली आन्तरिक वृत्ति अनुष्णा-एक नदीका नाम ( भीष्म० ९ । २४)। (अनु० १४४ । ४-१७ तथा २९-४०)। अनुहाद-हिरण्यकशिपुका तीसरा पुत्र (आदि०६५।१४)अन्तवास-एक प्राचीन देश ( सभा० ५१।१७)। यही शिशुपालपुत्र धृष्टकेतुके रूपमें पैदा हुआ था अन्ध-(१) एक कश्यपवंशी नाग ( उद्योग० १०३ । (आदि० ६७ । ७)। १६)। (२) एक अन्ध हिंसक जीव, जिसने समस्त प्राणियों के विनाशका वरदान प्राप्त किया था और इसीलिये अनूचाना-एक अप्सरा, जिसने अन्य अप्सराओंके साथ जिसे ब्रह्माजीने अन्धा बना दिया था। इसे मारकर व्याध आकर अर्जुनके जन्मके अवसरपर नृत्य किया था स्वर्गलोकका अधिकारी हुआ था (कर्ण० ६९।४१-४५)। ( आदि० १२२ । ६१)। अन्धक-(१) यदुकुलमें उत्पन्न अन्धकसे प्रचलित अनूदर-धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों से एक ( आदि० ६७ । ९९; कुलपरम्परामें जन्म लेनेवाले क्षत्रिय । इनके द्वारा अर्जुन११६ । ८)। का सत्कार ( आदि० २१७ । १८-१९)। (२) एक अनूप-एक प्राचीन जनपद (सभा० ५१ । २४) । राजा, जिसके पास पाण्डवपक्षकी ओरसे युद्धमें सहायताके (किसी-किसीके मतमें नीमाड़के लगभग नर्मदा-तटवर्ती लिये निमन्त्रण भेजा गया था ( उद्योग० ४ । १२)। प्रदेश, दक्षिण मालवा ही अनूप देश है (हिंदीमहाभारत (३) एक तीर्थ, जिसमें स्नान करनेसे पुरुषमेध यज्ञके परिशिष्ट पृष्ठ ५)। फलकी प्राप्ति बतायी गयी है (अनु० २५ । ३२-३३)। अनूपक-अनूपदेशके निवासी योद्धा (भीष्म० ५०। ४७)। (४) एक असुर, जो भगवान् शङ्करद्वारा मारा गया अनूपपति-समुद्रतटवतीं अनूपदेशका राजा कार्तवीर्य था ( अनु० १४ । २१४-२१५)। (वन० ११६ । १९)। अन्धकार-क्रौञ्चद्वीपका एक पर्वत (भीष्म० १२ । १८)। अनूपराज-अनूपदेशके राजा ( सभा० ४ । २०)। अन्धकारक-क्रौञ्चद्वीपका एक जनपद (भीष्म० १२ । २२)। ( कुछ व्याख्याकार 'अनूपराजो दुर्धर्षः' इस वाक्यांशका अन्ध्र-(१) दक्षिण भारतका एक जनपद (भीष्म अर्थ 'अनूपराज दुर्धर्ष' करते हैं अर्थात् अनूपराजका नाम ९।४९)। (२) अन्ध्रदेशवासी योद्धा (द्रोण०४।८)। (दुर्धर्ष' मानते हैं और दूसरे लोग 'दुर्धर्ष पदको अन्धक ( या आन्ध्रक)-(१) अन्ध्रदेशके राजा, जो अनूपराजका विशेषण समझते हैं। ) युधिष्ठिरकी मयनिर्मित सभामें बैठते थे (सभा० ४ । २४)। अनेना-(१) पुरूरवाके पुत्र राजा 'आयु'के द्वारा स्वर्भानु- ये युधिष्ठिरके राजसूय यज्ञमें आये थे (सभा० ३४।११)। कुमारीके गर्भसे उत्पन्न पाँचवाँ पुत्र । इसके अन्य चार (२) अन्ध्रदेशवासी मनुष्य अथवा योद्धा । पाण्ड्यनरेशभाई ये-नहुष, वृद्धशर्मा, रजि तथा गय (आदि०७५/ ने महाभारत-युद्धमें इन्हें परास्त किया था ( कर्ण. For Private And Personal Use Only

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