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अनादि
अनुविन्द
अनादि-भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० १४१ । ११४)। अविज्ञातगति नामक दो पुत्र हैं (आदि० ६६ । १७अनाधृष्टि-(१) रौद्राश्वद्वारा मिश्रकेशी अप्सराके गर्भसे २५) । (२) गरुडकी मुख्य-मुख्य संतानोंमें एक उत्पन्न ऋचेयु' अथवा 'अन्वग्भानु' का नाम 'अनाधृष्टि'
(उद्योग. १०१।९)। (३) भगवान् शिवका एक था (आदि. ९४ । ८-१२)। (२)सात यादव
नाम ( अनु०१७।१००)। (४) भगवान् विष्णुका महारथियों से एक (सभा०१४।५८)। ये उपप्लव्य एक नाम ( अनु० १४९ । ३८)। नगरमें अभिमन्युके विवाहके अवसरपर उसकी माता अनीकविदारण-सिंधुराज जयद्रथका भाई (वन० २६५ । सुभद्राके साथ पधारे थे (विराट०७२ । २२)। कुरुक्षेत्र- १२)। अर्जुनद्वारा वध (वन० २७१ । २७)। में श्रीकृष्ण और अर्जुनको घेरकर चलनेवाले अनेक वीरों में अनील-प्रमुख नागों से एक ( आदि० ३५ । ७)। एक अनाधृष्टि भी थे ( उद्योग० १५५ । ६७)। ये ही अनु-महाराज ययातिके द्वारा शर्मिष्ठासे उत्पन्न तीन पुत्रों से वृद्धक्षेमके पुत्र थे, जिनकी चर्चा धृतराष्ट्रने की है एक मझले (आदि० ७५ । ३३-३५)। अपनी युवा(द्रोण. १० ।५५)। इन्हींका वृष्णिवंशी वार्धक्षेमि' वस्था न देने के कारण इनको पिताद्वारा जराग्रस्त होने, नामसे उल्लेख हुआ है, जिन्हें कृपाचार्यने द्रोणपर आक्रमण अग्निहोत्र-त्यागी बनने तथा युवा होते ही इनकी संतानोंके
करनेसे रोका था (द्रोण० २५ । ५१-५२)। मरनेका अभिशाप ( आदि० ८४ । २५-२६)। अनालम्ब-एक तीर्थ, जिसमें स्नान करनेसे पुरुषमेध यज्ञका अनुकर्मा-एक विश्वेदेव ( अनु० ९१ । ३२)। फल प्राप्त होता है ( अनु० २५ । ३२-३३)।
अनुक्रमणिकापर्व-आदिपर्वका एक अवान्तरपर्व,पहला अध्याय।
_ अनुगीतापर्व-आश्वमेधिकपर्वके सोलहवें अध्यायसे ९२ तकअनिकेत-कुबेरकी सभामें उनकी सेवाके लिये सदा उपस्थित
का एक पर्व । रहनेवाले यक्षोंमेंसे एक (सभा० १० । १८)।
_ अनुगोप्ता-एक विश्वेदेव ( अनु० ९१ । ३७)। अनिमिष-(१) गरुडकी प्रमुख संतानोंमेंसे एक ( उद्योग.
अनुचक्र-प्रजापति त्वष्टाद्वारा स्कन्दको दिये गये दो पार्षदों१०१।१०)। (२) भगवान् शिवका एक नाम मेंसे एक । इसका दूसरा साथी चक्र था (शल्य. ४५ । (अनु० १७ । ४१)। (३) भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० १४९ । ३६)।
अनुदात्त (स्वर)-(१) पाञ्चजन्य अमिद्वारा अपनी दोनों अनिरुद्ध-(१)भगवान् श्रीकृष्णके पौत्र एवं प्रद्युम्नके पुत्र (आदि.
भुजाओंसे उत्पन्न किये गये प्राकृत और वैकृत भेदोंवाला १८५ । १७)। अनिरुद्धका प्रच्छन्नरूपसे बाणपुत्री उषाके ।
'अनुदात्त' नामक स्वर ( वन० २२० । ५-८)। साथ पहुँचकर उसके साथ आनन्दपूर्वक रहना । बाणासुर
(२) पाञ्चजन्यद्वारा पितरोंके लिये उत्पन्न किये गये पाँच का अनिरुद्धको कैद करके कष्ट देना । नारदजीके मुखसे
पुत्रोंमेंसे एक, इसकी उत्पत्ति प्राणके अंशसे हुई थी अनिरुद्धको बाणासुरके यहाँ बंदी हो कष्टमें पड़ा हुआ सुनकर
(वन०२२० । ८-१०)। श्रीकृष्णका बाणनगरपर आक्रमण, अनिरुद्धका उद्धार तथा
अनुबूत-वह जूआजो कौरवों और पाण्डवोंने वनवासकी उषाके साथ द्वारका-आगमन आदि ( सभा० ३८ अध्याय
बाजी लगाकर दूसरी बार खेला था ( सभा० ७६ । दा० पाठ श्रीकृष्णचरित्रके अन्तर्गत)। अर्जुनसे धनुर्वेदकी
१०-२४)। शिक्षा लेते समय ये युधिष्ठिरकी सभामें साम्ब आदिके साथ
अनुद्यतपर्व-सभापर्वके अन्तर्गत अध्याय ७४ से ८१ विराजमान होते थे (सभा० ४ । ३३-३६) । अनिरुद्धकी विष्णरूपता तथा इनके द्वारा ब्रह्माजीकी उत्पत्ति तकका भाम । ( भीष्म० ६५ । ७१; शान्ति० ३४०।३०-३१)। अनुपावृत्त-एक भारतीय जनपदका नाम (भीष्म०९ । ४८)। अनिरुद्ध (विष्णु) के नाभि-कमलसे ब्रह्माजीका प्रादुर्भाव अनुमति-एक कलासे रहित अर्थात् चतुर्दशीयुक्त पूर्णिमाकी (शान्ति० ३४१ । १५-१७)। (२) वृष्णिवंशी क्षत्रिय, अधिष्ठात्री देवी ( शल्य० ७५ । १३)। जो प्रद्युम्नपुत्रसे भिन्न था। इन दोनोंका द्रौपदीके स्वयंवरमें अनुयायी-धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों से एक ( आदि० ६७ । आगमन हुआ था ( आदि० १४५ । १७-२०)। १०२)। इसीका दूसरा नाम 'अग्रयायी' है (आदि० ११६ । (३) मांसभक्षणका त्याग करनेवाला एक राजा (अनु. ११)। भीमसेनके द्वारा मारे जाते समय इसके अनुयायी' ११५ । ६०)। (४) भगवान् विष्णुका एक नाम नामका ही उल्लेख हुआ है (द्रोण० १५७।१७-२०)। (अनु० १४९ । ३३)।
___ अनुविन्द-(१) धृतराष्ट्रके सौ पुत्रों से एक (आदि० अनिल- (१)आठ वसुओं से एक । इनके पिता धर्म और ६७ । ९४)। घोषयात्राके समय दुर्योधनके साथ गन्धर्वोमाता श्वासा हैं। इनकी पत्नीका नाम शिवा है और मनोजव एवं द्वारा यह भी बंदी बनाया गया था (वन० २४२। ८)।
म. ना०२
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