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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनादि अनुविन्द अनादि-भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० १४१ । ११४)। अविज्ञातगति नामक दो पुत्र हैं (आदि० ६६ । १७अनाधृष्टि-(१) रौद्राश्वद्वारा मिश्रकेशी अप्सराके गर्भसे २५) । (२) गरुडकी मुख्य-मुख्य संतानोंमें एक उत्पन्न ऋचेयु' अथवा 'अन्वग्भानु' का नाम 'अनाधृष्टि' (उद्योग. १०१।९)। (३) भगवान् शिवका एक था (आदि. ९४ । ८-१२)। (२)सात यादव नाम ( अनु०१७।१००)। (४) भगवान् विष्णुका महारथियों से एक (सभा०१४।५८)। ये उपप्लव्य एक नाम ( अनु० १४९ । ३८)। नगरमें अभिमन्युके विवाहके अवसरपर उसकी माता अनीकविदारण-सिंधुराज जयद्रथका भाई (वन० २६५ । सुभद्राके साथ पधारे थे (विराट०७२ । २२)। कुरुक्षेत्र- १२)। अर्जुनद्वारा वध (वन० २७१ । २७)। में श्रीकृष्ण और अर्जुनको घेरकर चलनेवाले अनेक वीरों में अनील-प्रमुख नागों से एक ( आदि० ३५ । ७)। एक अनाधृष्टि भी थे ( उद्योग० १५५ । ६७)। ये ही अनु-महाराज ययातिके द्वारा शर्मिष्ठासे उत्पन्न तीन पुत्रों से वृद्धक्षेमके पुत्र थे, जिनकी चर्चा धृतराष्ट्रने की है एक मझले (आदि० ७५ । ३३-३५)। अपनी युवा(द्रोण. १० ।५५)। इन्हींका वृष्णिवंशी वार्धक्षेमि' वस्था न देने के कारण इनको पिताद्वारा जराग्रस्त होने, नामसे उल्लेख हुआ है, जिन्हें कृपाचार्यने द्रोणपर आक्रमण अग्निहोत्र-त्यागी बनने तथा युवा होते ही इनकी संतानोंके करनेसे रोका था (द्रोण० २५ । ५१-५२)। मरनेका अभिशाप ( आदि० ८४ । २५-२६)। अनालम्ब-एक तीर्थ, जिसमें स्नान करनेसे पुरुषमेध यज्ञका अनुकर्मा-एक विश्वेदेव ( अनु० ९१ । ३२)। फल प्राप्त होता है ( अनु० २५ । ३२-३३)। अनुक्रमणिकापर्व-आदिपर्वका एक अवान्तरपर्व,पहला अध्याय। _ अनुगीतापर्व-आश्वमेधिकपर्वके सोलहवें अध्यायसे ९२ तकअनिकेत-कुबेरकी सभामें उनकी सेवाके लिये सदा उपस्थित का एक पर्व । रहनेवाले यक्षोंमेंसे एक (सभा० १० । १८)। _ अनुगोप्ता-एक विश्वेदेव ( अनु० ९१ । ३७)। अनिमिष-(१) गरुडकी प्रमुख संतानोंमेंसे एक ( उद्योग. अनुचक्र-प्रजापति त्वष्टाद्वारा स्कन्दको दिये गये दो पार्षदों१०१।१०)। (२) भगवान् शिवका एक नाम मेंसे एक । इसका दूसरा साथी चक्र था (शल्य. ४५ । (अनु० १७ । ४१)। (३) भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० १४९ । ३६)। अनुदात्त (स्वर)-(१) पाञ्चजन्य अमिद्वारा अपनी दोनों अनिरुद्ध-(१)भगवान् श्रीकृष्णके पौत्र एवं प्रद्युम्नके पुत्र (आदि. भुजाओंसे उत्पन्न किये गये प्राकृत और वैकृत भेदोंवाला १८५ । १७)। अनिरुद्धका प्रच्छन्नरूपसे बाणपुत्री उषाके । 'अनुदात्त' नामक स्वर ( वन० २२० । ५-८)। साथ पहुँचकर उसके साथ आनन्दपूर्वक रहना । बाणासुर (२) पाञ्चजन्यद्वारा पितरोंके लिये उत्पन्न किये गये पाँच का अनिरुद्धको कैद करके कष्ट देना । नारदजीके मुखसे पुत्रोंमेंसे एक, इसकी उत्पत्ति प्राणके अंशसे हुई थी अनिरुद्धको बाणासुरके यहाँ बंदी हो कष्टमें पड़ा हुआ सुनकर (वन०२२० । ८-१०)। श्रीकृष्णका बाणनगरपर आक्रमण, अनिरुद्धका उद्धार तथा अनुबूत-वह जूआजो कौरवों और पाण्डवोंने वनवासकी उषाके साथ द्वारका-आगमन आदि ( सभा० ३८ अध्याय बाजी लगाकर दूसरी बार खेला था ( सभा० ७६ । दा० पाठ श्रीकृष्णचरित्रके अन्तर्गत)। अर्जुनसे धनुर्वेदकी १०-२४)। शिक्षा लेते समय ये युधिष्ठिरकी सभामें साम्ब आदिके साथ अनुद्यतपर्व-सभापर्वके अन्तर्गत अध्याय ७४ से ८१ विराजमान होते थे (सभा० ४ । ३३-३६) । अनिरुद्धकी विष्णरूपता तथा इनके द्वारा ब्रह्माजीकी उत्पत्ति तकका भाम । ( भीष्म० ६५ । ७१; शान्ति० ३४०।३०-३१)। अनुपावृत्त-एक भारतीय जनपदका नाम (भीष्म०९ । ४८)। अनिरुद्ध (विष्णु) के नाभि-कमलसे ब्रह्माजीका प्रादुर्भाव अनुमति-एक कलासे रहित अर्थात् चतुर्दशीयुक्त पूर्णिमाकी (शान्ति० ३४१ । १५-१७)। (२) वृष्णिवंशी क्षत्रिय, अधिष्ठात्री देवी ( शल्य० ७५ । १३)। जो प्रद्युम्नपुत्रसे भिन्न था। इन दोनोंका द्रौपदीके स्वयंवरमें अनुयायी-धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों से एक ( आदि० ६७ । आगमन हुआ था ( आदि० १४५ । १७-२०)। १०२)। इसीका दूसरा नाम 'अग्रयायी' है (आदि० ११६ । (३) मांसभक्षणका त्याग करनेवाला एक राजा (अनु. ११)। भीमसेनके द्वारा मारे जाते समय इसके अनुयायी' ११५ । ६०)। (४) भगवान् विष्णुका एक नाम नामका ही उल्लेख हुआ है (द्रोण० १५७।१७-२०)। (अनु० १४९ । ३३)। ___ अनुविन्द-(१) धृतराष्ट्रके सौ पुत्रों से एक (आदि० अनिल- (१)आठ वसुओं से एक । इनके पिता धर्म और ६७ । ९४)। घोषयात्राके समय दुर्योधनके साथ गन्धर्वोमाता श्वासा हैं। इनकी पत्नीका नाम शिवा है और मनोजव एवं द्वारा यह भी बंदी बनाया गया था (वन० २४२। ८)। म. ना०२ For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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