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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अधर्म अनश्वा 'सत्यवती' नामक कन्या एवं 'मत्स्य' नामक पुत्रकी धरणीधरोंमें एक हैं (अनु० १५० । ६१)। भगवान् उत्पत्ति (आदि०६३ । ६१-६२)। दो संतानोंको अनन्तका ब्रह्माजीके आदेशसे अकेले ही इस सारी पृथ्वीको उत्पन्न करके इसका शापसे मुक्त होना (आदि०६३। धारण करना ( आदि० ३६ । २४ ) । ब्रह्माजीने अनन्त ६४-६६)। अर्जुनके जन्मके समय अन्य अप्सराओंके ( शेषनाग) के लिये गरुडको सहायक बना दिया (आदि. साथ अद्रिका भी स्वर्गसे आयी थी (आदि० १२२ । ६१)। ३६ । २५) । पश्चिम दिशामें नागराज अनन्तके निवासअधर्म-समस्त प्राणियोंका विनाश करनेवाला पाप ( पापका स्थानकी चर्चा (उद्योग० ११० । १८)। भगवान् अभिमानी पुरुष ) और उसकी उत्पत्तिका कारण अनन्त (बलराम) का रसातल प्रवेश (स्वर्गा० ५ । २३)। (आदि० ६६ । ५३)।अधर्मकी पत्नीका नाम निति (२) भगवान् सूर्यका नाम (वन०३ । २४) । (३) है, इसके तीन 'नैऋत' नामवाले राक्षस पुत्र हैं-भय, भगवान् श्रीकृष्णका नाम ( उद्योग० ७० । १४)। महाभय और मृत्यु (आदि० ६६ । ५४-५५)। अधर्मके (४) स्कन्दके एक सेनापति (शल्य० ४५ । ५७)। ही अंशसे सम्पत्तिके पुत्र दर्पका प्रादुर्भाव हुआ (शान्ति० (५) भगवान् विष्णुका नाम ( अनु० १४९ । ८३)। ९० । २७)। (६) भगवान् शिवका नाम (अनु. १७ । १३५)। अधिरथ-एक सूत, कर्णका पालक पिता ( आदि० अनन्तविजय-युधिष्ठिरके शङ्खका नाम ( भीष्म० २५ । ११० । २३, १३६ । १-४)। यह राजा धृतराष्ट्रका १६; शल्य०६१। ७१ के बाद दाक्षिणात्य पाठ)। मित्र था और इसकी पत्नीका नाम राधा था. वह अनुपम अनन्ता-महाराज परुके पत्र जनमेजयकी पत्नी, मधुवंशकी सुन्दरी थी, राधाके कोई संतान नहीं थी, वह पुत्र कन्या । इनके गर्भसे जनमेजयद्वारा प्राचिन्वान्का जन्म प्राप्ति के लिये सदा प्रयत्नशील रहती थी (वन० ३०९ । हुआ था (आदि० ९५। १२)। १-३) । अधिरथको कर्णकी प्राप्ति ( वन० ३०९। अनरकतीर्थ-एक तीर्थ, जिसमें स्नान करनेसे दुर्गति दूर होती है तथा जहाँ नारायण आदिके साथ ब्रह्मा नित्य निवास अधिराज्य-भारतवर्षका एक जनपद (कुछ लोग इसे । करते हैं (वन०८३ । १६८)। वर्तमान रीवाँ राज्य मानते हैं ) ( भीष्म० ९ । ४४)। अनरण्य-इक्ष्वाकुवंशके एक प्राचीन नरेश (आदि० १ । अधृष्या-एक नदी (भीष्म० ९ । २४)। २३६)। इन्होंने मांसभक्षणका निषेध किया (अनु. अधोक्षज-श्रीकृष्णका एक नाम, इस नामकी व्युत्पत्ति ११५। ५९)। ये सायं और प्रातःकाल स्मरण करनेयोग्य ( उद्योग० ७० । १०; अनु० १४ । ६९) । भगवान् राजर्षियों से एक हैं ( अनु० १६५ । ५९)। विष्णुका एक नाम (अनु० १४९ । ५७)। अनल-(१) आट वसुओं से एक, जो शाण्डिलीके पुत्र हैं अधशिरा-एक दिव्य महर्षि, जिन्होंने श्रीकृष्णके हस्तिनापुर (आदि०६६ । २०)।(२) गरुडकी प्रमुख संतानों से जाते समय मागमें उनसे भेंट की थी (उद्योग०८३ । ६४ एक (उद्योग० १०१ । ९)। के बाद दाक्षिणात्य पाठ)। अनला-(१) सुरभिकन्या रोहिणीकी पुत्री। इससे पिण्डाकार अनघ-(१) एक देवगन्धर्व, जो अर्जुनके जन्मोत्सवमें ____फल देनेवाले सात प्रकारके वृक्षों तथा शुकी नामवाली फल देनेवाले सात प्र आया था (आदि० १२२ । ५५)। (२) एक राजा कन्याका प्रादुर्भाव हुआ ( आदि० ६६ । ६७-६९)। (सभा० ८ । २१)। (३) एक देश या जनपद (२) नागमाता सुरसाकी पुत्री, जो वनस्पतियों, वृक्षों (सभा ३०। ९)।(४) स्कन्दका एक नाम (वन० __ और लतागुल्मोंकी जननी हुई (आदि० ६६ । ७० २३२ । ५)। (५) गरुड़की संतानोंमेंसे एक ( उद्योग० के आगे दाक्षिणात्य पाठ)। १०१ । १२)। (६) भगवान् शिवका एक नाम अनवद्या-कश्यपकी पत्नी तथा दक्षकी कन्या प्राधाकी सात ( अनु० १७ । ३८) । (७) भगवान् विष्णुका एक पत्रियों से एक ( आदि० ६५ । ४५)। यह नाम (अनु० १४९ । २९)। वर्यकी अप्सरा थी, जो अर्जुनके जन्मकालमें अन्य अन-प्रजापति कर्दमका पुत्र, जो प्रजारक्षक, साधु तथा अप्सराओंके साथ नृत्यके लिये आयी थी (आदि० १२२ । दण्डनीतिमें निपुण था । इसके पुत्र का नाम अतिबल था। (शान्ति० ५९ । ९१-९२)। अनश्या-महाराज कुरुके पौत्र तथा विदूरके पुत्र । मधुवंशअनझा-एक नदी (भीष्म० ९ । ३५)। की कन्या सम्पिया इनकी माता थी। इन्होंने मगधराजअनन्त-(१) कद्रूके ज्येष्ठ पुत्र भगवान् अनन्त (शेषनाग) कुमारी अमृताके गर्भसे परिक्षित्को जन्म दिया ( आदि. (भादि० ६५।४१)। भगवान् अनन्त ( शेषनाग ) सात ९५ । ३९-४१)। For Private And Personal Use Only
SR No.020461
Book TitleMahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasudevsharan Agarwal
PublisherVasudevsharan Agarwal
Publication Year1959
Total Pages414
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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