________________
प्रवचन २२/
| संकलिका
• मानसिक शक्ति को जगाने के चार सूत्र
• शिथिलीकरण । • शक्तियों के अपव्यय से बचना । ० प्राणधारा को निश्चित दिशा में प्रवाहित करना । • भावना का पूर्ण अभ्यास । मस्तिष्क और मेरुदण्ड द्वारा संचालित सक्रियता को जिस सीमा तक रोकते हैं उस सीमा तक स्वैच्छिक नाड़ी-मण्डल द्वारा संचालित अवचेतन की सक्रियता बढ़ती है । उससे शरीर के 'इन्वोलण्टरी' क्रिया-- कलापों पर नियंत्रण। • प्रशिक्षित व्यक्ति मानस-तरंगों की आवृत्तियों को कम कर सकता है,. उनकी लम्बाई को बढ़ा सकता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org