Book Title: Kisne Kaha Man Chanchal Hain
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 338
________________ प्रेक्षाध्यान : मानसिक प्रशिक्षण के पांच सूत्र ३२५ प्रकम्पन-प्रेक्षा-हमारे शरीर में निरंतर प्रकंपन हो रहे हैं। शरीर के प्रकंपन, वाणी के प्रकंपन, मन के प्रकंपन और श्वास के प्रकंपन । सूक्ष्म प्राण का प्रयोग कर प्रकंपन बढ़ाए जा सकते हैं। प्राण का निरोध कर वे घटाए जा सकते हैं, रोके जा सकते हैं। भावना के द्वारा विरोधी प्रकंपन पैदा किए जा सकते हैं। प्रेक्षाध्यान में पवित्र विकल्प या आलंबन और निर्विकल्प दशा दोनों का उपयोग किया जाता है। श्वास की गति और प्रकंपनों के बदलने पर दृष्टि बदल जाती है। श्वास और शारीरिक प्रकंपनों को संवादी और लयबद्ध करने की पद्धति हस्तगत होने पर आध्यात्मिक क्रांति घटित हो जाती है, मानव-संबंधों में नया मोड़ आ जाता है। प्रेक्षाध्यान की पद्धति में हम मन की चार भूमिकाओं के विकास का अभ्यास करते हैं१. जागरूकता ३. विचार २. भावना ४. दर्शन। हम सत्य और संयम के प्रति जागरूक नहीं होते, इसीलिए मिथ्यादृष्टि, इन्द्रिय और मन की उच्छखलता चलती रहती है। हमारा अस्तित्व परिणमनशील है इसीलिए हम बाहरी वातावरण से सम्मोहित होते हैं, सुझाव और वाणी से भी सम्मोहित हो जाते हैं, जैसा निमित्त मिलता है, वैसे ही बन जाते हैं । राग-द्वेष के नाना आवेश भी भावना के स्तर पर उभरते हैं । जैसी भावना होती है, वैसे ही विचार बनते हैं। जैसे विचार होते हैं, वैसा ही हमारा दर्शन होता है । जब हम इन्द्रिय-विषयों के प्रति मूच्छित होते हैं, तब भावना, विचार और दर्शन-ये सब इन्द्रिय विषयों के आसपास ही घूमते रहते हैं। यही सारी समस्याओं और दुःखों का मूल स्रोत है। प्रेक्षाध्यान के अभ्यास से हमारी मूर्छा टूट जाती है, मन सत्य और संयम के प्रति जागरूक बन जाता है। जागरूक मन दूसरे के सम्मोहन को अस्वीकार करने में सक्षम हो जाता है । इस कार्य में मन्त्र बहुत सहयोगी बनते हैं । हम शरीर और मन की अस्वस्थता को दूर करने के लिए स्व-सम्मोहन का प्रयोग करते हैं और पवित्र भावना के द्वारा हम निर्मल बन जाते हैं । हमें शरीर और मन का स्वास्थ्य उपलब्ध हो जाता है। जागरूक चेतना में पवित्र भावना के अंकुर फूटते हैं तब हमारे विचार भी वास्तविक बन जाते हैं । विचारों की वास्तविकता को उपलब्ध कर हम अपने भीतर की यात्रा शुरू करते हैं । हमारी दर्शन की शक्ति स्वयं को देखने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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