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किसने कहा मन चचल है
सूक्ष्म शरीर का बहुत बड़ा संसार है । वह इतना बड़ा संसार है कि आज के अरबों-खरबों दृश्य संसार इसमें सहजता से समाविष्ट हो सकते हैं । इतना बड़ा संसार दूसरा है नहीं । कुछ तारे ऐसे हैं जिनमें सात नील पृथ्वियां समा जाती हैं। किन्तु सूक्ष्म कर्म शरीर के सामने ये तारे भी छोटे हैं। उस अनन्त संसार को, अनन्त संस्कारों के संसार को हमें पार करना होगा। उसको पार करते ही चैतन्य का अनुभव प्रारंभ हो जाता है।
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