Book Title: Kayvanna Shethno Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ सने पाडे पास, करे रंग वातडी ॥१॥ करे माहोमांहे गोत, मसी सदु गोतीया ॥ खावे पीवे दिन रात, लूटा जिम पोठीया ॥२॥ पुहा कवित्त कनोल, गाहा गूढा वली ॥ हास्य तमासा ख्याल,खुशी खेले रली ॥३॥ यावीचोपड़ मामी, सारि पासा रमे ॥ उडे होडाहोड, कोडा कोडी धन गमे ॥४॥ हारे जीते एक, खेले व ली जूवटां ॥ करे मदिरापान, पडे जिम नवटा ॥५॥ • एक घालापेराग,काफीनट कान्हडा ॥ तन नन रीरी रीरी, करे तान मानडां ॥६॥ चटपट ताल कंसाल, धप मप मामलां ॥ ढम ढम ढमके ढोल, गाजे जि म वादलां ॥७॥ ततथेई नांचे पात्र, हाथ लटकावती ॥जयलने पाडे पास,यांख मटकावती॥॥पीवेनां ग तमाकु, तणां वली गेतरां ॥ नरक तणा व्यापार, जाणे दाहोत्तरा ॥७॥ गट गट पीवे दूध, दहींनां मा टकां ॥ नरे कसुंबा चूंट,नरी नरी वाटका ॥१०॥ मलमें जाणे कोश,घूमे नूतडा ॥जुलीखुली पडे मुख लाल,खरा ते विगतडा ॥११॥ हवे रहे तियांरे साथ, मातो मदमां नरो ॥ कयवन्नो दुजेम,योगीनो वान रो ॥१॥ विणसे मीठो दूध, बिंड कांजी तणे ॥ क स्तूरी कपूर, लसण परिमल हणे॥१३॥ गंगा जल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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