Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 59
________________ (५७) बारे परखदा रेहां, सफल करे अवतार ॥ श्री० ॥ ॥ १३ ॥ चोत्रीश अतिशय शोनता रेहां, वचनाति शय पत्रिीश ॥श्री॥ धर्म प्रकासे जगधणी रेहां,जग नायक जगदीश ॥श्री॥१॥ धन्य धन्य ते जग जीव डा रेहां, वाणी सुणी करे सेव ॥श्री॥ ढाल चोवी शमी जयतसी रेहां,नमुं चोवीशमो देव।।श्री॥१५॥ ॥दोहा॥ ॥हरण वानरनी परें, नरतां लांबी फाल ॥श्रे बिकने वधामणी, थावीदीये वनपाल ॥१॥श्रेणि क मनमां हरखियो, जिम घन आगम मोर ॥ मन वंजित वधामणी, दीधी तियांने जोर ॥२॥राजा श्र गिक दरखियो, हरख्यो अजय कुमार ॥ शाह कय वन्नो हर खियो, हरख्यां लोक अपार ॥३॥ ॥ढाल पच्चीशमी॥राग खमायची॥ महाराज . चढे गजराज रथ तुरियां ॥ ए देशी॥ ॥श्रीश्रेणिक महाराज, मनोरथ फलीया ॥नलें थाज या मो रंग रसीयां ॥ ए थांकणी ॥ जिनवर वंदन सजे सजाइ, उवटणां अंगें मलीयां ॥ अंजन मंजन स्नान सुगंधी, गंगाजल खल हलीयां ॥ श्री० ॥ ॥१॥ पहेंयां हीर चीर पटंबर, हियडे हार रलत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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