Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(६४) ॥ ढाल सत्तावीशमी, राग सिंधूडो। एक
लहरी ले गोरला ॥ ए देशी॥ ॥ शालीग्राम नामें गाम डे, नरी\ धण कण सूत॥ वसे तिहां एक गोवालिणी, मोसी एक तस पूत ॥१॥ दान धरम फल रूथडा,जश बोले सङ कोय ।। नगवंत नांखे स्वयंमुखें, दान समुं नहीं कोय ॥ दान ॥ ॥ धन पाखें ते मोकरी, करे परघर काम ॥ याथ पाखें बादर नहीं,पूढे न को नाम नाम ॥दा ॥३॥ बेटो बालक न्हानडो, करी न सके काम नेट ॥ चारे परायां वाबडा, नीट नरे एम पेट दा॥ ॥ ॥ परव महोत्सव एक दिने,रांधे घरघर खीर ॥ दीनां बालक जिमतां, दूळ मनमें दिलगीर ॥ दा०॥ ॥५॥ खीर जिमण मनसा थमांगे माताने तीर ॥ हम ले बेटो कहे, मा जिमण द्ये खीर ॥ दा०॥६॥ समजायो समजे नहीं, जाणे नहीं घर सार ॥ई बामण दमणी, नयए फरे जलधार ॥ दा० ॥ ७ ॥ मायडी कहे पूत माहेरा, घर नहीं कूशक नात ॥ ले करी तू सूकुं जिमी, बोडी दे खीर वात ॥ दा० ॥ ॥ ॥ कीडी मंकोडी त्रीया, हा गेडे नहिं बाल । रोवें थाडो मामीनें, बेडो मातानो जाल ॥दा॥॥
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