Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
(ए) नहीं, जे बलें पाडी उलंत ॥ब॥३॥आखाढो गाढोड व्यो,केई बट्या नर कोड ॥गुणवंतनुं पण नहीं गजु,जे हणमा लगाडे खोड ॥ ब० ॥४॥ नताले आकाशमा एक,आंखें नताले अनेक॥महीयें पग मंझे नहीं वली, नासे विनय विवेक॥ब०॥५॥जशोधर जिस्या जालमी, वली मुंज जिस्या महाराज ॥ पुण्यवंत परदेशी सारि खा,ते कांतायें दण्या निजकाज॥ब०॥६॥ जोरावर जंबु जिस्या,वंकचूल सरिखा वीर ॥ समर्थ थलिन सारि खा, जेहनां नारियें न उतास्यां नीर ॥ब॥७॥ शोल सती यादें थमहासती जग हितकार ॥ अनेकनर तेणें नइखा, रहनेमि आदें निरधार ॥॥॥ सुद शेन बलतां नवि बल्यो थयो केवल कमलाकंत ॥ पर मोदय पामे सही, जे पास एहने न पडंत ॥बनाए॥ ॥ अथ शीयलनी सद्याय ॥धणरा ढोला ॥ ए देशी ॥
॥शीख सुणो पीन माहरी रे, तुजने कहूं कर जो ड॥धारा ढोला॥प्रीत म कर परनारीयुं रे,यावे पग पग खोड ॥१०॥ कडं मानो रे सुजाण, कर्वा मानो। वरज्यां लागो मारा ताल, वरज्या लागो, परनारीनो ने हडलो निवार ॥धणरा ढोला ॥१॥ जीव तपे जिम वी. जली रे,मनडुं न रहे गमाध॥काया दाद मिटे नहीं
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/6a35e5b613efbe996cb1562b0ca4d5e2da2065315f0afb898ab22893f638bfdf.jpg)
Page Navigation
1 ... 78 79 80 81 82