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( ६८ )
चाइ ॥ करी वंदन पाटो वढ्यो रे, वली बेगे पाठो थाइ हो ॥ रु०॥ १६ ॥ जननी फरी यावी घरें रे, याली ते खाली देख ॥ तृप्तिकरण बालक जणी रे, वली खीर पोर से शेष हो ॥ रू० ॥ १७ ॥ मातने वात न का क ही रे, दीधुं बानुं दान ॥ फल तो तेहीज जोगवे रे, जे देश न करे गुमान हो ॥ रू० ॥ १८ ॥ देखी बालक जिमतो रे, माता चिंते घरी नेह ॥ एटली नूख खमे सदा रे, मुज धिग जमवारो एह हो । रू०॥ १९ ॥ न जर लागी माता तणी रे, दुइ मूर्ती ततकाल ॥ काल कियो शुन ध्यानमा रे, हवे पाभ्यो जोग रसाल हो ॥ रू० ॥ २० ॥ दान बानुं न रहे कदी रे, महके फूलनी वास ॥ कदे वूगे वटानडा रें, दुवे प्रगट्यो चंप्र काश हो ॥ रू० ॥ २१ ॥ दान सुपात्र दीयो सुणी रे, माता पाडोसा नार ॥ धनुमोदन करी ते हूइ. रे, ए तुज नारी चार हो ॥ रू० ॥ २२ ॥ उत्तम कुल तुं धवतस्यो रे, उत्तम दान प्रभाव | पुण्य कीधुं तें पूरवें रे, तिरों दु कृतपुष्य नाव हो ॥ रू० ॥ ॥ २३ ॥ त्रस्य नाग करी खीरना रे, दान दीयुं तिप मेल ॥ त्रण वेला ऋद्धि तें नदी रे पडी अंतराय तीन वेज हो ॥ रू० ॥ २४ ॥ नाव जलो खाली करी रे, दी
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