Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(७४)
॥दोहा॥ ॥ कयवन्ने संयम ग्रह्यो, करतो उग्र विहार ॥
मासें करे मन रंगयुं, निर्दूषण थाहार ॥ १ ॥ ॥ ढाल एकत्रीशमी ॥ राग धन्याश्री ॥ सुण बेहेनी,
पीयुडो परदेशी॥ ए देशी॥ . ॥ धन्य धन्य साधु नमुं कर जोडी,जेणे माया म मता बोडी जी॥ तप जप खप करी काया शोषी,होशे सिम पडोशी जी ॥ध॥१॥ महोटो मुनिवर श्रीकय वन्नो, धन्य धन्य सोवन वन्नो जी॥ घणां वरस लगें संयम पाली, दूषण सघलां टाली जी॥ ध० ॥ ॥ यतिचार बालोई नंदी, वीर जिनेसर वंदी जी॥थ ल्प पाउ जाणी नाणी,लियुं अनशन नाव आणी जी ॥ध० ॥ ३ ॥ चौराशी लख जीव खमावी,चि ढुं शरणे चित्त लावी जी ॥ सुरगति साहामा जोड्या हाथो, कुंण लीये नरकशुं बाथो जी ॥ध ॥४॥ पंमित मरणें कालज कीधो, चाल्यो परमहंस सीधो जी॥ नांग्या बदु नवनवना फेरा,दीधा सारथें मेरा जी ॥ध० ॥ ५ ॥ तेत्रीश सागर बायु नोगवशे, स वारथथी चवशे जी॥ माहाविदेहें नरनवलेशे, या करम तिहां दहशे जी॥ ध० ॥६॥ केवल पामी
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