Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 62
________________ (६१) जिनेसर नयणे दोग, सुःख दोहग दुरे टलीयां ॥ज यतसी ढाल कही पञ्चवीशमी, सुणतां हरख सुमंग लीयां ॥ श्री० ॥१७॥ ॥दोहा॥ ॥ पंचानिगम साचवी, श्रीश्रेणिक महाराय ॥ देश तीन प्रदक्षिणा,वांदे जिनवर पाय ॥१॥प्रयागल कर जोडीनें, बेठो श्रेणिक जाम ॥ नगर लोय पण वां दीने, सदु बेठां तिण गम ॥ ॥ जिनवर रूप शोहा मj, तन मन हुया लय लीन ॥ मगन दूधा जग ती न तिम, ज्युं पाणीमें मीन ॥३॥ ॥ ढाल बबीशमी ॥ करडो तिहां कोटवाल ॥ ए देशी॥ ॥नाव नक्ति मन थाणी, बेगथागे बारे परखदा जी॥योजन गामिनी वाणी, मीठी देवे जिनवरं देश नाजी॥१॥ समकित धर्मनुं मूल, समकित पालो या तम हित नणीजी॥थवर सहु थाक तुल्य,सुरतरु स रिखं समकेत नांखीयुंजी॥॥ देव नमो अरिहंत,गुरु गिरुवा श्रीसाधुसु वांदीयेंजी॥ केवलिनाषित तत्त्व, श्री जिनधर्म सूधो मन थापीयें जी॥३॥ श्रावकनां व्रत बार,थाठे प्रवचन माता साधुनीजीपालो निर तिचार, मनमा आणी सूधी नावनाजी ॥॥लाधो नरनव सार, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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