Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 35
________________ (३३) देखे, मोती माणक रयण अलेखे ॥ सोनुं रू' केहे लेखे, ए नहीं गेह विमान विशेखें ॥जी॥॥शंका मनमा कपनी रे, दु आव्यो किण लामो ॥ सूज न कांश सूची पडे रे, कयवन्नो मुज नामो ॥ कयवन्नो मुज नाम रे सोचे, शिर धूणीने दिल संकोचे ॥ वली वली मनशुं आप बालोचे, हवे किहां नासुं खूणे खोचे ॥ जी० ॥ ए॥ तेहवे यावी मोसली रे, बोले मीठा बोल ॥ ए घर ए वद ताहरी रे, करोणगुं रंग रोल ॥ करो इणयुं रंगरोल रे बेटा, जाग्या दुई ता हरी नेटा ॥ पहेरो उढो खाउ पेटा, तुं घर साहेब सदु तुज चेटा ॥जी॥१०॥ में समरी कुल देवता रे, माग्यो पुत्रप्रधानो॥ तूठी पाणी तुं दीयो रे, वा लो जीव समानो ॥ वालो जीव समान रे जाया,ए डे ताहरी जाया माया ॥ जीव बे एकनें जूई काया, तुने दीते में सुख पाया॥जी॥११॥ सुणि सुणि वात शोहामणी रे, हरख्यो दिये कुमारो॥ किए खाटी को नोगवे रे, जुवो कर्मविचारो ॥ जुवो कर्म विचार रे चंगा, नंदर खणि खणि मरे सुरंगा॥ जोगवे पेसी नोग नुयंगा, बैल मरे वही चरे तुरंगा ॥जी॥१॥ कय वन्नो सुख जोगवे रे, दिन दिन थति गदघाटो॥ वात Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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