Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ (४१) परदेश, बारां वर्षा कपरांजी ॥ मूके घर संदेश, के थावे पोतें वहीजी॥१३॥ घर याव्या सदु कोश, बाडोसी पाडोसीयाजी॥ माहारो परग्यो सोश, नाव्यो हजी वाट जोवतांजी॥ १३ ॥ जोषी चतुर सु जाण,लगन विचारी बोलीयोजी॥ बहेनी सुण मुज वाणि, म करीश चिंता पीयुतणीजी॥ १५ ॥ जाएं ज्योतिष सार, फलशे वंडित ताहरोजी॥थाज सही निरधार, मलशे तुजनें नाहलोजी॥१६॥ सांजली मी ती वाण, माबु अंग पण फरकीपुंजी ॥धाज सही सुविदाण, वीबडयो मतशे वालहोजी॥१७॥ सोने मढाएं जीन, अमीय नरूं मुख ताहरुंजी ॥ देणुं स दायाशीष, चिरंजीवो जोशी पंमियाजी॥ १७ ॥ लसी थावी घर बार,हियडुं हरख उमाहियुंजी ॥सां नलीयुं तेणीवार,उहिज साथ फरियावीयुंजी॥१॥ हली मली बिन्हे नारी, चाली तन मन उनसीजी॥ शुकन दूयां श्रीकार,साथमां श्रावी मलपतीजी॥२०॥ तंबु मेरा सुविशाल,देखीने मन उल्नसीजी। शोलमी ढाल रसाल, मलशे पीयुजणे जयतसीजी॥ १ ॥ । ॥दोहा॥ ॥ कयवन्नो जाग्यो दवे, हैहै कोण हवाल ॥ कि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82