Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 43
________________ हां घर घरणी चारे अरु, किहां मणि मोती माल ॥१॥ किहां कूर कपूरझुं प्रेमरस, किहां हैंमोला खाट । सही धूतारी मोकरी, ए सदु रचीया घाट ॥ २ ॥ तरीयो नेह दाखीयो, सोचें पडयो संदेह ॥ सूतारी पामा जणे,हवे किम जावू गेह ॥ ३ ॥ नारी देवल में गइ, दीनी तेहिज सेज ॥ बेगे प्रीतम उपरें, दीगे मन धरी हेज ॥॥ बोले माता हेजद्यु, बेटा ए तुज बाप ॥ खोले बेठो यावीने, टलिया फुःख संताप ॥५॥ ॥ ढाल सत्तरमी ॥राग मलार ॥ काजलनी ____ कोरेंज लाल ॥ ए देशी॥ ॥ बोले पदमणी बे जणी रे, बाज सफल अव तार ॥ रंगनर जाग्यो रे सनेह ॥ किरतारे पाणी मेल्यो रे, नाग संयोग जरतार ॥ रंग ॥१॥ सुर तरु फलीयो आंगणे रे, दूधे वूना मेह ॥ रंग ॥ मुह माग्या पासा ढल्या रे, उनसीया रोम रोम देह ॥ रंग ॥ २ ॥ विबड़ी मलियां सुख घणुं रे, नयएँ जाग्युं हेज ॥ रंग ॥ अचरिज मनमा उपन्युं रे, ए तो एहिज सेज ॥ रंग ॥३॥ गहेनो गाढो लामो लीलनो रे, अंग सुरंग सुंतेज ॥ रंग ॥नाणां गणां ढुंमी दुशे रे, चिंता न तिरी लेज ॥ रंग ॥४॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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