Book Title: Kayvanna Shethno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१४) ॥१॥शाह बेगे घर श्रावीने, हवे तसे सुत सुकुमा र॥ वरष दू धगीधारनो, नणे गुणे नीशाल ॥२॥
॥ ढाल बढारमी॥हतीला वैरीनी देशी॥ ॥ जयश्री लीधी कोयली रे,लीधा लाडू चार रे॥ सोहागण॥ देखी सुत कहे मातने रे लाल, ये श। रामण सार रे ॥ सोहागण ॥१॥ नारी मनमें गह गही रे, सखरा मोदक तंत रे ॥सो० ॥रस मूके दी तां जीनडी रे लाल, मबके माढनें दंत रे ॥ सो० ॥ ना० ॥॥ एक मोदक दियो सुत नणी रे, माता धरी उल्लास रे॥ सो० ॥लाडु लईने चालीयो रे ला ल, नगवा पाठक पास रे ॥ सो॥ ना० ॥ ३ ॥ लाडु खाता नीसयुं रें, दीतुं रतन अनूप रे ॥सो॥ ए मुज पाटी चूटj रे लाल, थाशे लागी चंप रे ॥ सो० ॥ ना० ॥ ४॥ बूटी पडियुं हाथथी रे, कं दोई कुंममांदि रे॥ सो० ॥जल फाटयुं जलकंतथी रेलाल, लीयुं कंदोई नहाहि रे ॥सो०॥ नाण॥ ५॥ ये मुज पाटी घटणुं रे, बोले नोलो बाल रे ॥सो॥ रढ लीधी मूके नहीं रे लाल, रोइ रोइ बोले गाल रे ॥ सो० ॥ ना० ॥ ६॥ लाड माघारी रेवडी रे, मी ती मीनाई दीध रे ॥ सो० ॥ मीठे वचने नोलावीने
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